वाराणसी-शाहगंज रेल रूट मौत का रेल मार्ग बन चुका है। यहां अब तक हुए दो बड़े हादसों में कई की जान जा चुकी है। 12 मई 2002 की भोर में करीब तीन बजे श्रमजीवी एक्सप्रेस जैसे ही मानी हाल्ट के पास गुरैनी मदरसे से ठीक एक किमी. आगे पहुंची दुर्घटनाग्रस्त हो गई। तेज आवाज के साथ हुई दुर्घटना और चीख-पुकार सुन आसपास के लोग जुटने लगे। मदरसे तक जानकारी पहुंची तो वहां से छात्रों और मौलाना की फौज राहत-बचाव काम में लग गई। हर तरफ सफेद कुर्ते और सर पर टोपी लगाए लोग ही नजर आ रहे थे। प्रशासन ने जो सूची जारी की उसके अनुसार 12 लोगों की मौत हुई थी जबकि 80 लोग घायल हुए थे। रेस्क्यू आपरेशन में अहम किरदार अदा करने वाले मदरसे के लोगों की हर ओर सराहना हो रही थी।
वर्ष 2012 में दून एक्सप्रेस हुई थी बेपटरी वाराणसी-लखनऊ रेलखंड पर मेहरावां के पास 13009 अप दून एक्सप्रेस 31 मई 2012 को दिन में 11.30 बजे कैंट स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर सात से रवाना हुई थी। यहां से रवाना होने के पौने दो घंटे बाद दोपहर 1.15 बजे सरायख्वाजा क्षेत्र के मेहरावां के पास हादसे का शिकार हो गई। इसमें 3 लोगों की मौत हो गई जबकि 50 से अधिक घायल हुए थे। स्थानीय लोगों ने चिलचिलाती धूप में कड़ी मशक्कत के साथ बचाव कार्य किया। हादसे की वजह जर्जर पटरियां बताई गई।
अब हुआ ये शाहगंज स्थित लखनऊ-वाराणसी रेलखण्ड पर गोड़िला फाटक के समीप टूटे रेल ट्रैक से ट्रेन संख्या दून एक्सप्रेस धड़धड़ाती हुई गुजरने लगी। आनन-फानन में गेटमैन दौड़ते हुए सात सौ मीटर दूर पहुंचा। जहां पटाखा दगा दून एक्सप्रेस को रोक कर घटना की सूचना विभाग के उच्चाधिकारियों को दी। करीब आधे घंटे बाद पहुंचे अधिकारियों ने ट्रैक मरम्मत का काम शुरु किया। ट्रैक सही होने पर एक घंटे 10 मिनट के बाद दून एक्सप्रेस ट्रेन को शाहगंज की ओर रवाना किया गया। शाहगंज से फैजाबाद की ओर जाने वाली ट्रेन संख्या 13508 किसान एक्सप्रेस को शाहगंज स्टेशन पर रोक दिया गया। जो 15 मिनट देर से गण्तव्य की ओर रवाना हो सकी। वहीं बरेली से वाराणसी की ओर जाने वाली पैसेंजर ट्रेन को मालीपुर में रोका गया।