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जशपुर

CG Impact Story: सडकों पर फर्राटा भर रहे तेज रफ्तार वाहन, आए दिन बेमौत मर रहे लोग

हादसों से नहीं ली कोई सीख

जशपुरMar 16, 2018 / 06:50 pm

Amil Shrivas

CG Impact
अमानुल्ला मलिक
जशपुरनगर. जशपुर जिले की सडकें आए दिन किसी ना किसी राहगीर, यात्री या किसी बाईक से लेकर अन्य प्रकार के वाहनों के चालक या फिर वाहन में काम करने वाले मजदूरों के खून से लाल हो रही हैं पर इस विभिषिका को थामने या कम करने को लेकर कोई कोशिश होती नहीं दिख रही यही कारण है कि मौत के आंकडे साल दर साल लगातार खौफनाक तरीके से बढ रहे हैं। साल में एक बार यातायात सुरक्षा सप्ताह के नाम पर कुछ रैलियों और स्कूलों में कुछ कार्यक्रम आयोजित करने से आगे बढकऱ कुछ और ज्यादा करने की बडी तीव्र जरूरत महसूस की जा रही है वर्ना हालात और भयावह होंगे इससे इंकार नहीं किया जा सकता है।
आंकडों के लिहाज से किसी भी युद्ध, आपदा या विभिषिका के मुकाबले देश में सडक हादसों में सबसे जाने जाती हैं इससे कोई अनभिज्ञ नहीं हैं पर हालात पर अंकुश लगाने को लेकर जिस पैमाने पर कोशिशें की जानी चाहिए वो होता दिखाई नहीं दे रहा है। आंकडे बताते हैं कि देश में हर घंटे 55 लोगों की मौत विभिन्न प्रकार के सडक हादसों में होती है, जिसमें औसतन 17 लोगों की आयु 18 साल से 45 वर्ष के बीच होती है। पिछले वर्ष के आंकडे बताते हैं कि देश में साल भर में 48652 सडक हादसे हुए जिनमें 150785 लोगों की मौत हुई यानि कि औसतन रोजाना 400 लोगों की मौत सडक हादसों में हुई।
जिले का आंकडा भी कम भयावह नहीं
जशपुर जैसे आदिवासी जिले में भी सडक हादसों से होने वाली मौतों के आंकडे भी कम चौंकाने वाले नहीं हैं। आंकडे बताते हैं कि जशपुर जिले में पिछले वर्ष 2017 में जिले के विभिन्न थानो में 370 सडक हादसों के मामले दर्ज हुए जिनमें 379 लोग घायल हुए और 188 लोगों की मौत हो गई। यानि कि लगभग हर दिन जिले में सडक हादसों में किसी ना किसी की मौत हुई और हर दिन किसी घर का चिराग बुझ गया या किसी का सुहाग उजड गया या कोई मासूम के सिर से मां या पिता का साया छिन गया। पिछले सालों की तुलना में वर्ष 2017 में जिले में सडक हादसों से मरने वालों की संख्या में 28 फीसदी अधिक मामले दर्ज किए गए हैं जो अपनी भयावहता को खुद दर्शा रही हैं।
शहर के डेंजर जोन
जशपुर शहर में जशपुर से सन्ना जाने वाले मार्ग में कृपा पान भण्डार से लेकर भगत पेट्रोल पम्प से लेकर जरिया तक लगातार हादसों में कई लोगों की मौत हो गई है। पिछले दिनो शहर के लोगों ने इस सडक पर हादसों को थामने के लिए नगरपालिका उपाध्यक्ष प्रिया सिंह जूदेव से मुलाकात भी की थी। इसी प्रकार से शहर के एनईएस कॉलेज से लेकर गिरांग मोड तक और जेल से भागलपुर की सडक को सडक हादसों को लेकर डेंजर जोन के रूप में जाना जाता है।
जिले के डेंजर जोन
जिले से होकर गुजरने वाली कटनी-गुमला नेशनल हाईवे क्रमांक 43 पर लोदाम से लेकर झरगांव और घोलेंग-गिरांग और लोरो घाटी से लेकर कुनकुरी के आसपास और फिर कुनकुरी से लेकर तपकरा और फरसाबहार से लेकर पत्थलगांव क्षेत्र की सडकें डेंजर जोन के रूप में उभर कर सामने आई हैं जहां आए दिन सडक हादसों में लोगों की मौत हुई है।

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