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मानसिक रूप से कमजोर बच्चों का नहीं हो रहा इलाज

locationजांजगीर चंपाPublished: Apr 24, 2019 12:26:11 pm

Submitted by:

Vasudev Yadav

सुविधा का नहीं मिल रहा लाभा : 76 लाख की लागत से बनाया गया डीआईसी यूनिट नहीं आ रहा काम

मानसिक रूप से कमजोर बच्चों का नहीं हो रहा इलाज

मानसिक रूप से कमजोर बच्चों का नहीं हो रहा इलाज

जांजगीर-चांपा. बड़े शहरों के सुपर स्पेशिलिटी अस्पतालों की तरह जिला अस्पताल परिसर में मानसिक रूप से नि:शक्त बच्चों के लिए के इलाज के लिए 76 लाख रुपए की लागत से डीआईसी यूनिट का निर्माण कराया गया है। भवन निर्माण पूर्ण होने के करीब सालभर बाद भी अब तक संचालन शुरू नहीं हो सका। ऐसे में यहां मरीजों को अन्य जिलों में संचालित अस्पतालों का रूख करना पड़ रहा है।
ऐसे में जिला बनने के 20 साल बाद भी मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को बेहतर उपचार के लिए उन्हें बिलासपुर, रायपुर सहित बड़े शहरों में संचालित अस्पताल में जाकर उपचार करना पड़ रहा है। केन्द्र व राज्य शासन द्वारा लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित की जा रही है। वहीं राज्य शासन द्वारा जिला अस्पताल में बढ़ते मरीजों की संख्या व पर्याप्त संसाधन का अभाव हो देखते हुए परिसर में 200 बिस्तर का अस्पताल व पर्याप्त संसाधन के करोड़ों रूपये की स्वीकृति दी गई है। जिला अस्पताल में लगातार सुविधाओं का विस्तार हो रहा है। अस्पताल परिसर में मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के इलाज के लिए केयर यूनिट का निर्माण पूरा हो गया। स्वास्थ्य विभाग ने करीब कुछ वर्ष पहले इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा था जिसे शासन ने स्वीकृति प्रदान करते हुए इसके लिए 76 लाख रुपए की राशि मंजूर की गई थी। इस यूनिट में आंख कमजोर, मंदबुद्घि, श्रवण बाधित और मानसिक रूप से कमजोर बच्चोंं का मुफ्त में इलाज किया जाएगा।
जिले में इसकी सुविधा नहीं होने के कारण मानसिक रूप से कमजोर बच्चों को इलाज के लिए रायपुर या फिर बाहर ले जाना पड़ता था। वहीं कुछ परिवार आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अपने बच्चों को इलाज ठीक ढंग से नहीं करा पाते थे परंतु अब यह समस्या नहीं होगी। वे अपने बच्चों का इलाज जिला अस्पताल में ही करा सकेंगे इसके लिए उन्हें बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि राज्य शासन से रूपये की स्वीकृति मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग द्वारा जोर-शोर से जिला अस्पताल परिसर के नर्सिंग कालेज के पास 76 लाख की लागत से पीडब्लूडी की मदद से डीआईसी यूनिट का भवन का निर्माण कराया गया। भवन निर्माण के सालभर बाद भी अब तक डीआईसी यूनिट का संचालन शुरू नहीं हो सका है। ऐसे में यहां पहुंचे मरीजों को उपचार के लिए अन्य जिलों में संचालित निजी अस्पतालों में उपचार के लिए भटकना पड़
रहा है।

आधुनिक मशीनों से किया जाएगा डीआईसी यूनिट में उपचार
डीआईसी यूनिट में श्रवण बाधित बच्चों की जांच आधुनिक मशीनों से होगी। जिले में बेरा टेस्ट की सुविधा जिले में अब नहीं मिल पाई है। डीआईसी यूनिट के संचालन के साथ ही यहां आडियोमेट्री जांच की सुविधा भी होगी। बड़े अस्पतालों की तरह नवजात के जन्म के बाद ही हेयरिंग टेस्ट कराया जा सकता है इससे नवजात के श्रवण परीक्षण का यूनिट में जांच कराया जा सकता है। वहीं जिले में श्रवण बाधित दिव्यांगों को सर्टिफिकेट के लिए तैयार कराने के लिए सिम्स में रिपोर्ट का इंतजार करना पड़ता है। यहां उनके सुनने की क्षमता जांची जाती है। मरीज कितना सुनने की क्षमता रहता है। इसी आधार पर डॉक्टर दिव्यांग सर्टिफिकेट तैयार करते हैं। मगर अभी लोगों को इसके लिए परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है और दूसरे जिलों तक ही दौड़ लगानी पड़ रही है।

जिला अस्पताल परिसर में डीआईसी यूनिट का निर्माण कराया रहा है। यहां मानसिक रूप से कमजोर बच्चों के मुफ्त में इलाज सुविधा डीआईसी यूनिट में मिलेगी। कुछ मशीनें भी यूनिट के लिए आ चुकी है। डॉक्टरों की मांग की गई है। इसके बाद यूनिट का संचालन शुरू कराया जाएगा।
डॉ. विजय अग्रवाल, सीएमएचओ

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