सरकार भले ही स्कूलों में नि:शुल्क किताबों का वितरण करती है, लेकिन यह किताब छात्रों को समय पर उपलब्ध नहीं हो पाता। इसके पीछे वजह वितरण सिस्टम में खामियां बताई जा रही है। वहीं दूसरी वजह छात्रों का देर से एडमिशन होना बताया जा रहा है। देर से एडमिशन लिए छात्रों की दर्ज संख्या भेजने में काफी देर हो जाती है अलबत्ता उसे शासन की योजना की किताबें देर से उपलब्ध हो पाती है। कुछ इसी तरह की खामियों से जिले के हजारों की तादाद में आज भी ऐसे छात्र हैं जो शिक्षा सत्र के तीन माह गुजर जाने के बाद भी स्कूल खाली हाथ जाने मजबूर हैं। क्योंकि उन्हें अब तक पाठ्यपुस्तक निगम की किताबें नहीं मिल पाई है। इसमें सबसे ज्यादा हिंदी माध्यम के छात्र ज्यादा प्रभावित हुए हैं। वहीं कई छात्र देर से एडमिशन लिए हैं वे नि:शुल्क किताब से वंचित हैं।
गुरुवार को आया दूसरा खेप
बताया जा रहा है कि राज्य शासन ने मांग के मुताबिक जिन छात्रों को अब तक किताबें नहीं मिली थी उनके लिए नि:शुल्क किताबों की व्यवस्था करा दी है। गुरुवार को इसका खेप हाईस्कूल क्रमांक एक के गोदाम में पहुंचा है। इस आशय का आदेश प्रसारित किया जाएगा कि जिन्हें किताबों की जरूरत है वे जांजगीर से किताब ले जा सकते हैं।
छात्रों की पढ़ाई हुई प्रभावित
जिन छात्रों को अब तक नि:शुल्क किताबें नहीं मिल पाई थी उनकी पढ़ाई प्रभावित हुई है। ऐसे छात्र या तो सहपाठियों से मांगकर पढ़ाई करनी पड़ी या फिर जुगाड़ से।