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एक स्कूल ऐसा भी : स्कूल 1, कक्षाएं हैं 5 और छात्रों की संख्या 4 जिनकी सफाई कर्मी लेता है क्लास

locationजांजगीर चंपाPublished: Jul 04, 2018 05:20:43 pm

Submitted by:

Shiv Singh

नवागढ़ ब्लाक के आमानारा भड़ेसर स्कूल का मामला

नवागढ़ ब्लाक के आमानारा भड़ेसर स्कूल का मामला

नवागढ़ ब्लाक के आमानारा भड़ेसर स्कूल का मामला

जांजगीर-चांपा. नवागढ़ ब्लाक के शासकीय प्राथमिक शाला आमानारा भड़ेसर में एक ऐसा स्कूल है, जहां पांच कक्षाओं के चार बच्चों की क्लास एक कमरे में लगती है।

रजिस्टर में पांच कक्षाओं में १३ छात्रों की संख्या दर्ज है। स्कूल में मात्र एक शिक्षिका पदस्थ है जो आफिस में रजिस्टर मेन्टेंन का कार्य करती है। मजेदार बात यह है कि इन पांच कक्षाओं के चार बच्चों की क्लास स्कूल का सफाईकर्मी ले रहा था।
पत्रिका रिपोर्टर स्कूल पहुंचा तब आफिस में बैठी शिक्षिका चौंक गई। अपने आप को सफाई देने लगी और कहा कि सफाईकर्मी आज ही क्लास ले रहा, नहीं तो मैं ही पढ़ाती हूं। चूंकि आफिस वर्क अधिक था इस कारण रजिस्टर मेंटेंन करने में वक्त लग गया। नहीं तो वह खुद क्लास लेती है। जबकि अंशकालीन सफाईकर्मी बच्चों को ब्लेकबोर्ड के सामने लाकर पढ़ाई करा रहा था।
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एक तरफ हम डिजिटल इंडिया का सपना देख रहे हैं। देश की तरक्की व संपूर्ण साक्षरता के दावों को हकीकत में तब्दील करने सरकार शिक्षा के क्षेत्र में सालाना करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा रही है। शिक्षा का स्तर बढ़ाने की दिशा में सरकार ने हाल ही में शिक्षाकर्मियों को संविलियन की सौगात भी दी है, लेकिन शिक्षाकर्मियों की फितरत में सुधार नहीं हो रहा है।
कुछ इसी तरह की सरकारी दावों का सच बुधवार को भड़ेसर स्कूल में देखने को मिला। जहां शिक्षा का स्तर बढऩा तो दूर बल्कि शिक्षा के नाम पर भोले भाले छात्रों का भविष्य गर्त में डालने शिक्षा विभाग कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। प्रधान पाठक का कहना है कि मोहल्ले में न तो घर है और न ही पढ़ाई करने वाले छात्र।
आसपास के मोहल्ले के बच्चों को जैसे तैसे कर स्कूल आने के लिए दबाव बनाया जाता है। बच्चे जब स्कूल जाते हैं तब उन्हें एक कमरे में सभी क्लास के बच्चों को बिठा दिया जाता है। एक ही स्वर में सभी छात्रों को कक्षा पहली से लेकर पांचवीं तक पढ़ाई कराई जाती है।
हद तो तब हो गई जब क, ख, ग, घ कक्षा पहली का छात्र भी पढ़ रहा और उसी कमरे में बैठा कक्षा पांचवीं का भी छात्र वही पढ़ रहा है। स्कूल में दो शिक्षिकाओं की पदस्थापना है लेकिन दूसरी शिक्षिका स्वर्णलता टोप्पो मेटरनिटी अवकाश पर है। इसके चलते सभी छात्रों को एक कमरे में बिठाकर पढ़ाई कराया जा रहा है।


मॉनिटरिंग का बंटाधार
शिक्षा विभाग की बदइंतजामी की कहानी कोई नई नहीं है। जिले में ऐसे दर्जनों स्कूल हैं जहां एक -एक स्कूलों में दर्ज संख्या दर्जन भर से अधिक नहीं है। ऐसे स्कूलों में एक- एक शिक्षक तैनात मिलेंगे। जो एक कमरे में सभी क्लास के बच्चों को बिठाकर अ अनार का और आ आम की तालीम दे रहे हैं। मन लगा तो पढ़ाए नहीं तो छुट्टी। जिला मुख्यालय के अंतिम छोर में बसे ऐसे स्कूलों की मॉनिटरिंग करने वाला भी कोई नहीं है।


पलायन कर जाते हैं अभिभावक
शिक्षकों का कहना है कि शासकीय स्कूल में अधिकतर बच्चों के अभिभावक पलायन कर जाते हैं। अपने बाल बच्चों को रिश्तेदारों के पास या दादी दादा के पास छोड़कर चले जाते हैं। कई बच्चे ऐसे होते हैं जो आधे दिन पलायन कर जाते हैं। मन लगता है तब वे स्कूल आते हैं और नहीं तो गायब। इसके चलते स्कूलों में दर्ज संख्या प्रभावित होती है। वहीं जो सक्षम होते हैं वे लोग अपने बच्चों को निजी स्कूलों में भेजते हैं।


-ऐसे स्कूलों का तीन साल पहले युक्तियुक्तकरण किया गया था। इसके बाद भी ऐसे कई स्कूल बच गए हैं जहां छात्र संख्या बेहद कम हैं और शिक्षक अधिक हैं। इसके लिए शासन को प्रस्ताव बनाकर भेजा जाता है। युक्तियुक्तकरण शासन स्तर की बात है।
-जीपी भास्कर, डीईओ
नवागढ़ ब्लाक के आमानारा भड़ेसर स्कूल का मामला
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