जिले में इस वर्ष २०५ समितियों में ७० लाख क्ंिवटल धान खरीदी का लक्ष्य मिला है। प्रदेश भर में धान खरीदी के लिए जांजगीर -चांपा जिला टॉप स्थान में है। यहां सबसे अधिक धान की खरीदी की जाती है। दो तीन जिले को छोड़कर एक अक्टूबर से प्रदेश भर में धान की खरीदी शुरू हो चुकी है। जांजगीर चांपा जिले में धान की बोहनी नहीं हो पाई है। इसके पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि सुखत से निजात पाने के लिए समिति प्रभारी धान खरीदी के लिए हीला हवाला कर रहे हैं।
टोकन के बिना भटक रहे किसान
बीते दिवस बलौदा क्षेत्र के कोरबी धान खरीदी केंद्र में डोंगरी के किसान मनोहर सिंह धान बिक्री के लिए गया था, लेकिन समिति प्रभारी ने किसान को टोकन देने से इनकार कर दिया। समिति प्रभारी का कहना था कि अभी धान में नमी है। धान खरीद भी लेंगे तो धान इसके अलावा समिति में अभी धान रखने की सुविधा भी नहीं है। इसके चलते किसान को समिति से बैरंग लौटना पड़ा।
यह सुखत का गणित
अभी जो धान समिति में आएगा उसमें नमी होगी। नमी के कारण धान सूखेगा। जिसकी भरपाई समिति प्रभारी को करना पड़ेगा। हालांकि दो प्रतिशत नमी चलता है लेकिन वर्तमान में जो धान आएगा उसमें ५ से १० प्रतिशत नमी आएगी। इसके चलते समिति प्रभारी धान खरीदी के लिए आनाकानी कर रहे हैं। बहरहाल जिले में धान की खरीदी की शुरूआत दिसंबर माह से ही होने की आशंका है।
चार जिले को छोड़कर सभी जिले में हो चुकी बोहनी
प्रदेश के २७ जिले में २३ जिले में धान की आवक शुरू हो चुकी है। यहां हजारों क्ंिवटल धान की खरीदी हो चुकी है। केवल जांजगीर-चांपा, नारायणपुर, बीजापुर व जशपुर जिले में धान की आवक नहीं हो पाई है। ऐसा नहीं है कि जिले के समितियों में धान की आवक नहीं हो रही है। आवक होने के बाद भी मार्कफेड के अफसर धान की खरीदी के लिए आनाकानी कर रहे हैं।
-धान खरीदी की तैयारी कर ली गई है। समितियों में धान की आवक नहीं हो रही है। सुखत के कारण धान खरीदी में आनाकानी का आरोप बेबुनियाद है। यदि समिति में धान आएगा तो जरूर खरीदेंगे।
-प्रवीण पैकरा, डीएमओ