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सड़क हादसे में लगातार मौते हो रही है। लगातार मौतों के बाद भी लोगों को समझ नहीं आ रही है। पुलिस हर रोज मोटरव्हीकल एक्ट के तहत कार्रवाई कर रही है। खासकर इन दिनों हेलमेट अभियान को लेकर सती बरती जा रही है। समन शुल्क के रूप में हर रोज 12 से 15 हजार रुपए समन शुल्क के रूप में वसूल किया जा रहा। वहीं गौर करने लायक बात यह है कि माल वाहन वाहनों में सवारी ढोने वाले वाहन यूंही छोड़े जा रहे हैं। बावजूद जिले के लोगों में समझ नाम की चीज नहीं है। सुबह से लेकर शाम तक दोपहिया वाहनों में तीन सवारी। बिना कागजात वाले वाहन चालकों की संख्या कम होने का नाम नहीं ले रहा। हद तो तब हो जा रही जब पिकअप जैसे वाहनों में सवारी ठूंस-ठूंस कर भर कर सफर किया जा रहा।
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सौ दो सौ रुपए का खेलयातायात पुलिस की कार्यप्रणाली पर हमेशा सवाल खड़ा होते रहता है। ऐसा नहीं है कि ऐसे वाहनें यातायात पुलिस की नजर में नहीं पड़ती हो। यातायात पुलिस ऐसे वाहनों को रोकती जरूर है, लेकिन सौ दो सौ रुपए लेकर चलता कर देती है। इसके कारण आए दिन इस तरह की घटना होते रहती है। यदि ऐसे वाहनों पर कड़ी कार्रवाई हो तो नि:शंदेह लोगों में समझ आएगी। लोग पुलिसिया कार्रवाई से डरेंगे।
जिले में ऐसे ही मालवाहक वाहनों के हादसे में हर साल 150 से अधिक लोगों की जान जाती है। इसके अलावा 150 लोगों की जान दोपहिया वाहनों के कारण जाती है।
हर रोज कार्रवाई
डीएसपी ट्रैफिक प्रदीप जोशी का कहना है कि ऐसे वाहन चालकों के खिलाफ हर रोज अभियान छेड़ा जाता है। खासकर हेलमेट को लेकर हर रोज सती बरती जा रही है। बावजूद लोगों में समझ नहीं आ रही है। लोगों को जागरूक होना होगा। तभी हादसे में विराम लगना चाहिए।