शहर के 25 वार्डों में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन
जांजगीर-नैला शहर में कुल 25 वार्ड हैं। यहां स्थित घरों-दुकानों से सीधे कचरा उठाने मिशन क्लीन सिटी योजना चलाई जा रही है। इसके लिए वाहन चालक/हेल्पर और महिला समूह मिलाकर कुल 89 कर्मचारी कार्यरत हैं। नियमके तहत हर साल नि:शुल्क में ये सामग्री इन कर्मचारियों को नपा की ओर से देना है, लेकिन जिला मुख्यालय के नगरपालिका में स्वच्छता कर्मियों की सेहत की सुरक्षा भगवान भरोसे चल रही है। बीच-बीच में जनप्रतिनिधि या सामाजिक संगठन की ओर से खास मौकों में स्वच्छता दीदियों का सम्मान करते हुए अपनी ओर से ये चीजें दी जाती है।
नियमित हेल्थ चेकअप भी नहीं हो रहा
घरों से कचरा कलेक्शन और एसएलआरएम सेंटर में कचरों की छंटाई के दौरान तरह-तरह के गंदगी के बीच ही महिलाओं को हर समय रहना पड़ता है। इससे संक्रमण का भी बहुत ज्यादा खतरा रहता है। इसलिए संक्रमण से बचाने के लिए ये सारी चीजें नि:शुल्क में मुहैया कराने का नियम है ताकि इसके जरिए स्वच्छता दीदियां संक्रमण से बची रही। लेकिन यहां इसकी ही अनदेखी की जा रही है। यहां तक हर माह हेल्थ चेकअप का भी नियम है। कुछ माह तक जिला अस्पताल में जाकर स्वास्थ्य परीक्षण में हो रहा था वो भी अब बंद है। अब जिम्मेदारों के द्वारा जिला अस्पताल जाने के बजाए मोबाइल मेडिकल यूनिट में स्वच्छता कर्मियों की जांच कराने का दावा किया जा रहा है।
हर साल मुफ्त में ये सुरक्षा सामग्री देने का नियम
1. महिलाओं को वर्दी के लिए साड़ी 2 नग और पुरुषों को रंग की टी-शर्ट दो नग प्रति वर्ष
2. रबड़ के दास्ताने और कपड़े के दास्ताने चार जोड़ी हर तीन माह में
3. मोजे और मास्क छह-छह जोड़ी प्रति दो माह में
4. एपरेन महिला-पुरुष दोनों के लिए दो-दो नग प्रति वर्ष
5. कपड़े के जूते दो जोड़ी, टोपी दो नग प्रति छह माह में
6. रेनकोट एक नग हर साल
7. गमबूट (केवल कम्पोस्ट शेड में कार्यरत सफाई मित्र) एक जोड़ी प्रतिवर्ष
स्त्रोत: छग स्वच्छ भारत मिशन वेबसाइट से
स्वच्छता कर्मियों को समय-समय पर सुरक्षा सामग्री उपलब्ध कराई जाती है। पिछली बार कब कराया गया है, रिकार्ड देखने के बाद ही बता पाऊंगा। स्वास्थ्य परीक्षण भी कराया गया है। नपा में ही मोबाइल मेडिकल यूनिटी की व्यवस्था है जहां एमबीबीएस डॉक्टर मौजूद रहते हैं। यहां आकर कर्मचारी जांच कराते हैं।
शिवा बर्मन, नोडल अधिकारी, मिशन क्लीन सिटी