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आपस में चंदा कर पहले स्कूल को सजाया फिर प्रोजेक्टर के माध्यम से देते हैं शिक्षा

locationजांजगीर चंपाPublished: Jan 05, 2019 02:49:26 pm

Submitted by:

Shiv Singh

उन्होंने आपस में चंदा कर न केवल स्कूल भवन को दुल्हन की सजाया

उन्होंने आपस में चंदा कर न केवल स्कूल भवन को दुल्हन की सजाया

उन्होंने आपस में चंदा कर न केवल स्कूल भवन को दुल्हन की सजाया

देवेंद्र यादव/जांजगीर-पामगढ़. शासकीय प्राइमरी स्कूल पामगढ़ के शिक्षा स्टॉफ का नवाचार के प्रति ऐसा जुनून सवार है कि उन्होंने आपस में चंदा कर न केवल स्कूल भवन को दुल्हन की सजाया है। बल्कि प्राइमरी स्कूल के छात्रों को हाईटेक करते हुए प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाई कराते हैं। पहले तो उन्होंने आपस में तकरीबन ढाई लाख रुपए चंदा इक_ा किया,
फिर स्कूल भवन में दुल्हन की तरह सजा डाला। पहले तो उन्होंने स्कूल भवन में वॉल पेंटिंग कराई फिर स्कूल परिसर में क्यारियां बनाकर फूलों के पौधे लगाए। इतना ही स्कूल भवन को इस तरह सजाया कि स्कूल में बच्चों को खुशनुमा माहौल मिलता है। बच्चे न केवल पढ़ाई लिखाई में मन लगाते हैं बल्कि एक स्वच्छ वातावरण में रहकर पढ़ाई लिखाई भी करते हैं।

प्राइमरी स्कूल पामगढ़ के शिक्षकों की कहानी निराली है। शिक्षा स्टॉफ ने स्कूल में पढ़ाई लिखाई का स्तर मेंटेन करने के लिए न केवल स्कूल भवन को पहले सजाया बल्कि स्कूल परिसर को भी चकाचक करा डाला। स्कूल भवन को ऐसा रंग रोगन की गई है कि मानों किसी दुल्हन से कम नहीं है। भवन में चारों ओर वाल पेंटिंग की गई है। भवन की दीवारों में आकर्षक कलाकृति भी कराई गई है। इसी तरह स्कूल परिसर के चारों ओर आकर्षक बागवानी भी गई है। जिसके चलते स्कूल के बच्चे एक स्वच्छ वातावरण में पढ़ाई करते हैं।
यहां के शिक्षिकों ने बताया कि स्कूल भवन में रंग रोगन के लिए उन्होंने शासन से अपेक्षा करने के बजाए खुद के खर्च से यह सब किया है। क्योंकि उन्हें पता है कि शासन की ओर से हर साल स्कूल भवन के रंग रोगन के लिए पांच हजार रुपए से अधिक नहीं मिल सकता। जिसके चलते आपस में शिक्षकों के साथ मिलजुलकर या फिर किसी अन्य सामाजिक वर्ग के लोगों से सहयोग राशि लेकर भवन को सजाने का काम किया है। यह भवन पामगढ़ में आकर्षण का केंद्र बन चुका है। अब स्कूल में दर्ज संख्या भी बढ़ रही है।


हर कोई करता है तारीफ
स्कूल की शिक्षिका शीला शर्मा ने बताया कि स्कूल भवन की सुंदरता को देखकर हर कोई तारीफ किए बगैर थकता नहीं। यहां से गुजरने वाला हर कोई यहां रुककर जाता है और शासकीय स्कूल के भवन में इस तरह कलाकृतियां की गई है उसे विश्वास नहीं होता। शिक्षकों ने बताया कि पामगढ़ में आधा दर्जन स्कूल है, लेकिन इस स्कूल में अन्य स्कूलों की अपेक्षा अधिक सुविधा होने के कारण यहां की दर्ज संख्या लगातार बढ़ रही है।


छात्रों का आर्थिक सहयोग भी करते हैं
स्कूल के शिक्षकों ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए शिक्षा स्टॉफ न केवल आर्थिक सहयोग करते हैं बल्कि उनके लिए कपड़े, कापी, किताब मध्यान्ह भोजन के लिए बर्तन की व्यवस्था करते हैं। जिन बच्चों के पास बेल्ट, जूते सहित अन्य सामान नहीं होते उन्हें हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराते हैं। ऐसे में बच्चों में उत्साह बढ़ता है और शिक्षा के प्रति लगाव होने से छात्र हर रोज स्कूल भी आते हैं।


प्रोजेक्टर के माध्यम से कराते हैं पढ़ाई
यहां के शिक्षकों ने बताया कि स्कूल में छात्रों की पढ़ाई प्रोजेक्टर के माध्यम से कराते हैं। इसके लिए उन्हें तकरीबन एक लाख रुपए खर्च आया है। बच्चों की अंग्रेजी विषय की पढ़ाई कर अधिक जोर दिया जाता है। क्योंकि जमाना अब अंग्रेजी का आ गया है। शिक्षकों ने बताया कि पहले तो इस स्कूल में बच्चों के पलायन की समस्या थी, लेकिन जब स्कूल में पढ़ाई का स्तर बढ़ते गया तो छात्र पलायन नहीं कर रहे हैं।


-स्कूल में स्वच्छ वातावरण बनाने और बच्चों के शिक्षा के प्रति जुड़ाव के लिए कुछ नया करने की योजना बनाए हैं। शिक्षा स्टॉफ आपस में चंदा इक_ा किए हैं और प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाई कराते हैं। वहीं स्कूल परिसर में रंग बिरंगे पौधे लगाकर स्कूल को सर्वसुविधायुक्त बनाने का प्रयास किए हैं।
-शीला शर्मा, प्रधान पाठक, प्राइमरी स्कूल पामगढ़

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