फामूर्ला क्लीयर है तो सफलता भी क्लीयर है एनआईटी के मेटलर्जिकल डिपार्टमेंट से 2018 में पासआउट अरनब रमुई ने गेट की ऑल इंडिया रैंकिंग में तीसरी पोजीशन लाकर एनआईटी सहित छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है। रायगढ़ निवासी रमुई ने पहली बार गेट में 153 रैंक 2018 में, 2019 में दूसरी बार में 29वीं और तीसरी बार में तीसरी रैंक हासिल किया है। रमुई अभी नौकरी कर रहे हैं और साइंटिस्ट बनने के लिए लगातार प्रायसरत हैं। उन्होंने बताया कि उनका छोटा भाई अर्पण एनआईटी में मेटलर्जिकल डिपार्टमेंट में सेकेंडियर का स्टूडेंट है। वह लगातार गेट इसलिए दे रहे हैं, जिससे उनकी तैयारी बनी रहे और वह अपने भाई की प्रिप्रेशन करा सकें।
नौ महीने की कड़ी मेहनत और दोस्तों की मदद से मिली सफलता गेट में आल इंडिया रैंक में ७वीं रैंक हासिल करने वाले विपुल बोहरा ने अपनी सफलता का श्रेय नौ महीने की कड़ी स्टडी और दोस्तों के मार्गदर्शन को दिया है। विपुल एनआईटी में मेटलर्जिकल डिपार्टमेंट से 2018 बैच के पासआउट हैं। वह कैंपस प्लेसमेंट के बाद से जेएसडब्लयू स्टील लिमिटेड में काम कर रहे थे। गेट की तैयारी के लिए नौ महीने पहले रिजाइन दिया। रणनीति के तहत घर पर खुद से पढ़ाई की। दोस्तों से टेस्ट सिरीज और डिसकशन करके पढ़ाई की। इसमें उनके दोस्त योगेश आदित्य ने काफी सहायता की। आठ-आठ घंटे तक लगातार पढ़ाई की है। जिसकी बदौलत वे 7वीं रैंक हासिल कर पाया है।
रिवीजन के साथ पढ़ाई है सफलता का मंत्र गेट में 19वीं रैंक हासिल करने वाली मृदुल यादव एनआईटी की गोल्ड मेडलिस्ट होने के साथ ही 2019 में आर्किटेक्चर डिपार्टमेंट से पासआउट हैं। नागपुर निवासी मृदुल का कहना है कि वह अभी बतौर असिस्टेंड आर्किटेक्ट जॉब कर रही हैं। पढ़ाई के दौरान उन्हें यह कहा गया कि पहले एक दो साल की प्रैक्टिस करो उसके बाद गेट दो। इसीलिए यह उनका पहला अटेम्प्ट है और पहली बार में कड़ी मेहनत करने से उन्हें 19वीं रैंक मिली है। उनका कहना है कि पहले तो वह जॉब के साथ रोजाना 3-4 घंटे पढ़ाई करती थी, लेकिन आखिरी महीनों में दो महीने की छुट्टी लेकर पूरा दिन पढ़ाई किया। पुराने नोट्स को रिवाइज किया, जिसकी बदौलत पहली बार में सफलता मिली है।