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पिता की मौत के बाद अकेला वारिस बनकर जमीन करा लिया अपने नाम, एफआईआर दर्ज कराने भटक रहे दो भाई

locationजांजगीर चंपाPublished: May 28, 2019 01:54:30 pm

Submitted by:

Vasudev Yadav

– संबंधित थाना नहीं कर रहा है एफआईआर दर्ज

पिता की मौत के बाद अकेला वारिस बनकर जमीन करा लिया अपने नाम, एफआईआर दर्ज कराने भटक रहे दो भाई

पिता की मौत के बाद अकेला वारिस बनकर जमीन करा लिया अपने नाम, एफआईआर दर्ज कराने भटक रहे दो भाई

जांजगीर-चांपा. फर्जी दस्तावेजों के सहारे जमीन हथियाने का मामला सामने आया है। पिता के मौत के बाद तीन भाई होते हुए भी एक भाई ने अकेला वारिस होने संबंधी झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत कर जमीन को अपने नाम करा लिया है। इसमें पटवारी की बड़ी लापरवाही सामने आई है। बिना जांच पड़ताल किए उन्होंने ही एक भाई के नाम जमीन फौती काट दी है। पीडि़त एक साल से न्याय की गुहार लगाते हुए थाना व एसपी आफिस का चक्कर काट रहा है। इसके बाद भी संबंधित थाना एफआईआर दर्ज नहीं कर रहा है।
एसपी को सौंपे ज्ञापन में उन्होंने बताया कि अनंदराम देवांगन पिता गंजानंद देवांगन के नाम पर ग्राम खोखसा में 0.121 हेक्टेयर, 0.190 हेक्टेयर, 0.008 हेक्टेयर तथा0.0045 हेक्टेयर जमीन है। अनंदराम देवंागन की मृत्यु हो गया। इसके बाद अनंदराम देवंागन के फौत के बाद रामप्रताप देवंागन के द्वारा स्वयं को उनका अकेला वारिस होने संबंधी झूठा शपथ पत्र स्टांप, नोट्रोलियल कर कागजात प्रस्तुत कर 420 करते हुए जमीन अपने नाम कर लिया। जबकि स्व. अनंदराम देवांगन के तीन पुत्र रामनाथ, रामधन व रामप्रताप है। धोखाधड़ी कर जमीन अपने नाम करने की जानकारी अन्य दोनो को नहीं थी।
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बाद में इसकी जानकारी होने पर रामधन के पुत्र सुभाष देवंागन ने पटवारी को लिखित रूप से शिकायत किया। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुआ। बाद में 420 का एफआईआर दर्ज कराने जांजगीर थाना पहुंचा तो वहां भी साल भर बाद भी एफआईआर नहीं किया जा रहा है। जिससे पीडि़त पक्ष ने एसपी से ज्ञापन सौंपते हुए संबंधित पर एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। पीडि़त सुभाष देवांगन ने बताया कि धोखाधड़ी करते हुए हम लोगों के बिना जानकारी जमीन को झूठा शपथपत्र देकर अपना नाम कर लिया है। इसकी जांच कर संबंधित पर कार्रवाई होनी चाहिए। इसके लिए जहां तक हो सके लडऩे के लिए तैयार हूं।

संदेह के घेरे में पटवारी
मृत्यु के बाद फौती उसके सभी वारिस के नाम पर संबंधित पटवारी द्वारा ही किया जाता है। पटवारी को जांच पड़ताल कर जमीन की फौती उनके सभी वारिस के नाम करना होता है। लेकिन पटवारी मिलीभगत कर एक व्यक्ति के नाम पर ही फौती चढ़ा दिया है। जिससे संबंधित पटवारी भी संदेह के घेरे में है।

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