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पांच सदस्यी रेल अफसरों की टीम १५ दिन के भीतर सौंपेगी जांच रिपोर्ट

locationजांजगीर चंपाPublished: Feb 06, 2019 07:43:34 pm

Submitted by:

Shiv Singh

2 एवं 3 फरवरी को चांपा के आउटर में कोरबा रोड साइड लगातार दो-दो बार मालगाडिय़ों के तीन-तीन डीब्बे डिरेल हो गई थी। पहले दिन यानी दो फरवरी की रात कुछ ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था। लेकिन दूसरे दिन यानी तीन फरवरी की शाम को कोयले से लदी चार-चार डिब्बे डीरेल हो गई थी

पांच सदस्यी रेल अफसरों की टीम १५ दिन के भीतर सौंपेगी जांच रिपोर्ट

पांच सदस्यी रेल अफसरों की टीम १५ दिन के भीतर सौंपेगी जांच रिपोर्ट

जांजगीर-चांपा. चांपा २ एवं ३ फरवरी को सिलसिलेवार हुई। रेल दुर्घटना की जांच के लिए डीआरएम ने पांच सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी है। यह टीम १५ दिन के भीतर जांच रिपोर्ट डीआरएम को सौंपेगी। जिसमें यह तय होगा कि आखिरकार दो-दो दिन तक मालगाडिय़ों के डिब्बे डिरेल क्यों हुई। टीम दुर्घटना के वास्तविक कारणों का पता लगाएगी। इसके बाद यह जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

गौरतलब है कि २ एवं तीन फरवरी को चांपा के आउटर में कोरबा रोड साइड लगातार दो-दो बार मालगाडिय़ों के तीन-तीन डीब्बे डिरेल हो गई थी। पहले दिन यानी दो फरवरी की रात कुछ ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था। लेकिन दूसरे दिन यानी तीन फरवरी की शाम को कोयले से लदी चार-चार डिब्बे डीरेल हो गई थी। इससे रेल प्रशासन को काफी नुकसान हुआ था। एक ओर इलेक्ट्रिक पोल क्षतिग्रस्त हो गया था तो वहीं दूसरी ओर तीन तीन बोगियों के कोयला सतह में आ गया था। जिससे रेल प्रबंधन को लाखों का नुकसान हुआ था। दुर्घटना की जांच के लिए रेल प्रशासन ने पांच सदस्यीय रेल अफसरों की टीम गठित की थी। जिसमें टीएसओ, सीटीई, सीईडीई समेत पांच अफसरों को शामिल किया गया है। यह टीम दुर्घटना के वास्तविक कारणों का पता लगाएगी। इन अफसरों को अपनी जांच रिपोर्ट डीआरएम को सौंपना होगा। जांच रिपोर्ट में जो बातें सामने आएगी इसके बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

आखिर हुआ क्यों
रेल प्रबंधन बीते एक माह से रेल पटरियों की सुधार के लिए नॉन इंटरलॉकिंग का काम कराई। जिसमें पुराने कल पुर्जों को ठीक किया। जिसके चलते पिछले कई महीनों से यात्री गाडिय़ों का परिचालन बंद कर दिया गया था। इस अव्यवस्था के कारण यात्रियों को बेहद परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं इतने दिनों की मरम्मत के बाद भी यदि गाडिय़ों के डिब्बे डीरेल हो तो निश्चित ही रेल प्रबंधन के कार्यप्रणालियों पर सवाल उठता है।

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