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प्रधानमंत्री की सभा के लिए मंगाए जाएंगे ७० बायो टायलेट

locationजांजगीर चंपाPublished: Sep 18, 2018 08:44:58 pm

Submitted by:

Shiv Singh

स्वच्छ भारत मिशन की लाज बचाने शासन प्रशासन जुटा क्लीन सिटी में कचरे से अटे बड़े शहर में सफाई पर दिया जा रहा विशेष ध्यान

प्रधानमंत्री की सभा के लिए मंगाए जाएंगे ७० बायो टायलेट

प्रधानमंत्री की सभा के लिए मंगाए जाएंगे ७० बायो टायलेट

जांजगीर-चांपा. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का 22 सितम्बर को दोपहर 3 बजे जांजगीर प्रवास प्रस्तावित है। जिसके लिए शासन स्तर के अधिकारी सहित जिला प्रशासन पूरी तत्परता से तैयारी में जुटा हुआ है। इसके लिए स्थानीय पुलिस लाईन ग्राउंड में समुचित तैयारियां की जा रही है। मोदी की आम सभा के दौरान स्वच्छ भारत मिशन की तैयारी पूरी तरह से दिखाई दे, इसके लिए पहली बार जिले में ७० बायो टायलेट मंगाए जा रहे हैं। इसके साथ ही शहर की साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
करोड़ों रुपए की लागत से हर एक गांव में बनाए गए गुणवत्ताहीन शौचालय का उपयोग भले ही ग्रामीण न कर पा रहे हों लेकिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच और योजना पर कोई पतीला न लगा सके इसके लिए प्रशासन कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा है। मोदी की सभा के दौरान प्रशासन एक दो नहीं बल्कि पूरे ७० की संख्या में बायो टॉयलेट मंगवा रहा है। जिससे सभा के दौरान लोग इन टायलेट का इस्तेमाल कर सकें। इन गिने चुने बायोटॉयलेट को दिखाकर ही जिला प्रशासन केंद्र तक अपनी वाहवाही भी लूट सकेगा। जबकि जमीनी हकीकत यह है अधिकारियों ने गुणवत्ता हीन आधे अधूरे शौचायल का निर्माण करके सिर्फ कागजों पर ही ग्राम पंचायतों को ओडीएफ कर दिया है। लोग इस मोदी की सोच से प्रेरित होकर अपने पैसे से टायलेट बनवाए भी उन्हें आज तक प्रोत्साहन राशि तक नहीं दी गई है।

क्या है बायो टायलेट
आज के आधुनिक समाज में बहुत से लोग टॉयलेट का इस्तेमाल करने लगे हैं, लेकिन आज भी लोग फ्लश वाले टॉयलेट का इस्तेमाल कम करते हैं। फ्लस टॉयलेट का आविष्कार लगभग 100 साल पहले हुआ था और भारत के सिर्फ 25 प्रतिशत लोग ही इसका इस्तेमाल करते हैं। भारत सरकार ने साल 2013 में हाथ से मैला उठाने पर प्रतिबंध लगाते हुए यह काम मशीनों कराने का ऐलान किया। इसी वजह से बायो टायलेट का इस्तेमाल सामने आया। इस टॉयलेट में शौचालय के नीचे बायो डाइजेस्टर कंटेनर लगा होता है, जिसमें एनेरोबिक बैक्टीरिया होते हैं। ये बैक्टीरिया मानव मल को पानी और गैसों में बदल देते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान मल के सडऩे पर केवल मीथेन गैस और पानी ही शेष बचता है। इस टायलेट का इस्तेमाल विशेष रूप से ट्रेनों में किया जा रहा है।

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