उल्लेखनीय है कि शिक्षा के अधिकार के तहत नि:शुल्क शिक्षा के लिए जिले के 419 निजी स्कूलों में नर्सरी, केजी वन और कक्षा पहली में 6500 के करीब सीट आरक्षित की गई थी। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन मंगाए गए थे। इस दौरान कुल 6302 आवेदन शिक्षा विभाग को मिले। इसके बाद नोडल अफसरों द्वारा इन आवेदनों की स्कू्रटनी की गई। स्कू्रटनी के दौरान 561 आवेदन डुप्लीकेट पाए गए यानी पालकों ने एक ही बच्चे के लिए दो बार आवेदन कर दिया।
16 जून से शुरू होगी प्रवेश की प्रक्रिया
बता दें, स्कूलों में 16 जून से प्रवेश की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। आरटीई के तहत पात्र मिले बच्चों को स्कूल में सीट आवंटन की जानकारी मोबाइल एसएमएस के जरिए भेजी गई है। साथ ही चयन सूची भी संबंधित स्कूलों में नोडल अफसरों द्वारा भेजी जा चुकी है। अगर किसी कारणवश मोबाइल में जानकारी नहीं मिली है तो पालक संंबंधित स्कूल में जाकर उस सूची का अवलोकन कर सकते हैं। बताया जा रहा है कि मोबाइल नंबर में त्रुटि होने के चलते कई अभिभावकों को यह जानकरी नहीं मिल पाई है कि उसकेबच्चे का एडमिशन हो गया है।
हर साल खाली रह गई थी सीट
बता दें, हर साल आरटीई की सीटें खाली रह जाती थी। पहले निजी स्कूल संचालक शाला में मौजूद पूरी सीट संख्या की जानकारी छिपाते थे। इसको देखते हुए शासन ने इसे ऑनलाइन कर दिया हैं जिसमें स्कूल संचालकों को शाला में उपलब्ध सीटों की जानकारी ऑनलाइन किया जा रहा है ताकि कितनी सीटें भरी है और कितनी खाली हैं यह देख सके, मगर असली परेशानी जटिल प्रक्रिया बन रही है। सर्वे सूची, गरीबी रेखा के नाम, जन्मतिथि समेत अन्य दस्तावेज देना जरूरी कर दिया गया है जिसके कारण ही हर बार आधे आवेदन ऐसे ही रिजेक्ट हो जाते हैं।