हालिया हत्याओं के खिलाफ यह बंद बुलाया गया है ऐसा बताया जाता है। अलगाववादी नेताओं के एक बयान में कहा गया है, “रमजान के पवित्र महीने में भी हत्याओं और रक्तपात का सिलसिला नहीं थम रहा। आम नागरिक, आतंकवादी या भारतीय सेना के लोग मारे जा रहे हैं। अनसुलझे कश्मीर मुद्दे की कीमत कश्मीरी को चुकानी पड़ रही है। दुर्भाग्यपूर्ण हत्याओं का विरोध करने के लिए लोग कल 17 मई, शुक्रवार को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करेंगे।
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से आतंकी कुछ ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं। एक के बाद एक कई मुठभेड़ सेना और आतंकियों के बीच बीते दिनों में हुई हैं। हालांकि, पिछले साल के मुकाबले इस साल वादी में हिंसक प्रदर्शनों में 60 प्रतिशत की कमी आई है, जिसकी वजह से सुरक्षाबलों की तरफ से पैलेट गन का इस्तेमाल भी कम किया गया है।
इस साल अब तक उपलब्ध पैलेट स्टॉक का 10 प्रतिशत भी इस्तेमाल नहीं किया जा सका है। हालांकि इसकी वजह मानवाधिकारों के कथित झंडाबरदारों और विभिन्न राजनीतिक दलों की तरफ से पैलेट गन के मुद्दे पर मचाया जाने वाला सियासी शोर कदापि नहीं है। इसके बजाय पैलेट गन के इस्तेमाल में कमी के पीछे कानून व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षाबलों द्वारा अपनाए जाने वाले स्टैंडर्ड आपरेशनल प्रोसीजर (एसओपी) में बदलाव के अलावा हिंसक प्रदर्शनों में कमी जिम्मेदार हैं।