एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक शनिवार को मामले की जांच को आगे बढ़ाने के लिए कोर्ट से पादरी की सात दिन का पुलिस रिमांड हासिल करने में भी पुलिस कामयाब रही। उधर, शनिवार को कठुआ पहुंचे बच्चों के अभिभावकों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि बच्चे उन्हें सौंपे जाएं।
जिला उपायुक्त कठुआ ने लोगों को आश्वस्त किया कि उनके बच्चे सुरक्षित हैं और अभिभावकों की वेरिफिकेशन के बाद ही बच्चे उन्हें सौंपे जाएंगे। प्रशासन और पुलिस की त्वरित कार्रवाई को लेकर विभिन्न संगठनों का शिष्टमंडल जिला उपायुक्त से मिला और बच्चियों का शोषण करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
दूसरी ओर इसाई समुदाय के लोगों ने भी पारलीवंड में प्रदर्शन किया। उन्होंने मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। यदि पादरी दोषी है, तो उसे कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए और यदि यह आरोप बेबुनियाद हैं, तो जिन लोगों ने प्रशासन को गुमराह किया है, उनके खिलाफ मामला दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। वही जिस घर में पादरी और बच्चे रहते थे, पुलिस ने उसपर पहरा लगा दिया है। किसी को भी भीतर आने-जाने की इजाजत नहीं है। अवैध छात्रावास से मुक्त करवाए गए बच्चों में से लड़कियों को नारी निकेतन, तो लड़कों को बाल आश्रम में रखा गया है।
पारलीवंड इलाके में चर्च के नाम पर अवैध छात्रावास में नाबालिग बच्चियों से यौन शोषण का मामला शुक्रवार को उस समय प्रकाश में आया, जब प्रशासन ने शिकायत मिलने के बाद टीम गठित कर छापामारी की।
प्रशासनिक टीम के आने बाद महिला अधिकारियों के सामने अवैध छात्रावास में रह रही बच्चियों ने उनके साथ पादरी द्वारा लगातार शोषण करने की आपबीती सुना दी थी, जिसके बाद पादरी को हिरासत में ले लिया गया था। पुलिस प्रशासन की टीम ने इस अवैध हॉस्टल से सात से 16 वर्ष की 8 बच्चियों और 12 लड़कों को नारी निकेतन और बाल आश्रम भेज दिया था। शनिवार को किसी भी बाहरी व्यक्ति को बाल आश्रम या फिर नारी निकेतन में बच्चों से मिलने की अनुमति नहीं दी गई।