फारूक अब्दुल्ला आज अपनी मां बेगम अकबर जहां ( Begum Akbar Jehan ) की 19वीं पुण्यतिथि पर बोल रहे थे। अब्दुल्ला ने नेशनल कांफ्रेंस के अन्य वरिष्ठ पार्टी सदस्यों के साथ बेगम अकबर जहां के लिए विशेष प्रार्थना की। इसके बाद उन्होंने कहा कि ”कश्मीर एक राजनीतिक मुद्दा है, जिसका हल भी राजनीति से होना चाहिए। उन्होंने कहा की कश्मीर मुद्दे का समाधान इस तरह होना चाहिए की पाकिस्तान और भारत को विश्वासघात महसूस न हो। इसमें पाकिस्तान या भारत को अलग नहीं रखा जा सकता।”
उन्होंने आगे कहा कि राज्य के सभी तीन विभाग जम्मू, लद्दाख और कश्मीर एक हो और इस राजनीतिक समाधान को स्वीकार करे। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर “विवाद” को बातचीत के जरिए हल करने की जरूरत है। सेना की ताकत से कुछ भी हासिल नहीं होगा।”
घाटी में सेना को फ्री हैंड
बता दें कि भारत सरकार ( Modi government ) ने जम्मू—कश्मीर मुख्यत: कश्मीर घाटी से आतंकियों का सफाया करने के लिए सेना को फ्री हैंड दे रखा है। सेना भी आतंकियों के खिलाफ अभियान चला रही है। आए दिन घाटी से मुठभेड़ में आतंकियों के मारे जाने की ख़बरें सामने आती रहती है। सेना के इस अभियान से आतंकी गतिविधियों पर लगाम लगी है।
सैन्य ताकत पर सवाल, विवाद तय
सैन्य कार्रवाई से घाटी में आतंकी गतिविधिया भले ही कम हुई है पर जम्मू-कश्मीर के स्थानीय नेता जैसे पीडीपी ( PDP ) प्रमुख महबूबा मुफ्ती ( Mehbooba Mufti ) , एनसी सुप्रीमो फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला ( Omar Abdullah ) और समस्त अलगाववादी नेता सैन्य कार्रवाई से ज्यादा खुश नजर नहीं आते हैं। वह हमेशा से ही बातचीत की पैरवी करते रहे हैं। फारूक अब्दुल्ला ने सैन्य ताकत के उपयोग से जुड़ा बयान देकर भी एक नई बहस को जन्म दे दिया है।
अलगाववादियों से बातचीत हो:-फारूक
इससे पहले भी फारूक अब्दुल्ला ने कश्मीर के हालातों में सुधार लाने के लिए अलगावादी हुर्रियत नेताओं ( separatists leaders ) से बातचीत करने की पैरवी की थी।