सुरक्षाकर्मियों की भी निगरानी के निर्देश
वर्ष 2015 से लेकर 30 सितंबर, 2018 तक करीब नौ सुरक्षाकर्मी सरकारी हथियार लेकर आतंकी बने हैं। इस मामले के बाद संबंधित पुलिस उपाधीक्षकों और थाना प्रभारियों को भी निर्देश जारी किए गए हैं कि वे अपने-अपने कार्याधिकारी क्षेत्र में एसपीओ और किसी भी संरक्षित व्यक्ति के सुरक्षा दस्ते में शामिल सुरक्षाकर्मियों से लगातार मिलें। उनकी कार्यप्रणाली की निगरानी करें। उन्हें हालात के प्रति लगातार अवगत कराते हुए सुरक्षा व्यवस्था में किसी तरह की चूक से बचने की जानकारी भी दी जा रही है। इसके साथ ही संरक्षित व्यक्तियों की सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों व एसपीओ को यह भी कहा गया है कि वे अवकाश पर जाने से पूर्व संबंधित पुलिस स्टेशन और संबंधित यूनिट में अपने हथियार जमा कराकर उनकी रसीद लें।
2010 के बाद तेज हुआ सिलसिला
राज्य पुलिस में डीआईजी रैंक के एक अधिकारी के मुताबिक बीते तीन साल में पुलिसकर्मियों के आतंकी संगठनों में भर्ती होने के मामले तेज हुए हैं। इनकी शुरुआत मार्च 2015 में तत्कालीन आरएंडबी मंत्री सईद अल्ताफ बुखारी के घर तैनात पुलिसकर्मी नसीर पंडित के आतंकी बनने से हुई। इसके बाद नाम आता है सईद रकीब बशीर, शकूर अहमद, नवीद अहमद, इश्फाक अहमद डार, रईस अहमद मीर, जहूर अहमद डार, इरफान डार और तारिक अहमद बट का। पहले वर्ष 2002 से 2010 के बीच यह सिलसिला लगभग थम चुका था। इस दौरान तीन से चार पुलिसकर्मी ही आतंकी बने थे, लेकिन वर्ष 2010 के बाद इन मामलों में तेजी आने लगी। अब तक करीब 19 पुलिसकर्मी आतंकी बन चुके हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा बीते तीन सालों में ही आतंकी बने हैं।