इससे पहले तीन एसपीओ की हत्या की वारदात के बाद घाटी में इतनी दहशत फैल गई कि छह एसपीओ के इस्तीफा देने की खबरें आने लगीं। कहा जा रहा है कि यह संख्या इससे भी कहीं अधिक है। बताया जाता है कि आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन ने पुलिसकर्मियों को नौकरी छोडऩे या मरने की धमकी दी थी। कई गांवों में धमकी भरे पोस्टर भी लगाए गए थे। ऑपरेशन आल आउट से बोखलाए आतंकवादियों ने इन पोस्टरों में बाकायदा लोगों को चेतावनी दी थी कि अगर पुलिसकर्मियों ने अपनी नौकरियां नहीं छोंड़ी, तो वे उन्हें और उनके परिजनों को निशाना बनाएंगे।
कहा जा रहा है कि शुक्रवार को आतंकियों के खौफ के चलते छह पुलिसकर्मियों ने नौकरी से इस्तीफे का एलान कर दिया। इस्तीफा देने वालों ने वीडियो से इस बात की जानकारी दी। इनमें नवाज अहमद लोन, शबीर अहमद ठोकर, नसीर अहमद भट, तजल्ला हुसैन लोन इरशाद बाबा, मुदासिर अहमद व एक अन्य शामिल हैं। बीते दिनों हिजबुल मुजाहिदीन के मुखिया रियाज ने कश्मीर के स्पेशल पुलिस अफसरों, जो महज 6000 प्रति माह पर नियुक्त है, को आगाह किया था कि वे अपनी नौकरी छोड़ दें।
रियाज़ नाइकू ने पुलिसकर्मियों को धमकी दी थी कि सभी पुलिसकर्मियों को चार दिन में नौकरी छोड़नी होगी। नाइकू का कहना था कि नए कश्मीरी लडक़े पुलिस ज्वाइन ना करें। इससे पूर्व गत 31 अगस्त को दक्षिण कश्मीर में आतंकियों ने पुलिसकर्मियों के 11 रिश्तेदारों को अगवा किया था। हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया था। जम्मू-कश्मीर पुलिस, एसटीएफ, ट्रैफिक पुलिस, सीआईडी,राष्ट्रीय राइफल्स, सीआरपीएफ, बीएसएफ और केंद्र सरकार की नौकरी करने वाले कश्मीरियों से नौकरी छोडऩे की धमकी देते हुए नौकरी छोडऩे का सबूत इंटरनेट परअपलोड भी करने को कहा था।
गौरतलब है कि जुलाई 2016 में हिज्बुल कमांडर बुरहान वानी के मारे जाने के बाद दो वर्षों में घाटी के करीब 9,000 युवा पुलिस में भर्ती हो चुके हैं। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की तरफ से पंचायत चुनाव टालने के लिए पुरजोर कोशिशें की जा रही हैं। माना जा रहा है कि आतंकी नहीं चाहते कि राज्य में पंचायत चुनाव हो। आशंका यह भी जताई जा रही है कि अगले कुछ दिनों में कुछ और भी घटनाएं इसी तर्ज पर हो सकती हैं।
गृहमंत्रालय की सफाई
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का कहना है कि जम्मू कश्मीर के पुलिस अफसरों ने इस्तीफा दे दिया है। जम्मू कश्मीर पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि यह जानकारी गलत है। 30000 से अधिक एसपीओ हैं। समय-समय पर उनकी सेवाओं की समीक्षा की जाती है। कुछ शरारती तत्व यह अफवाह फैला रहे हैं कि इनकी सेवाओं को प्रशासनिक कारणों से नवीनीकृत नहीं किया गया है। इस कारण इन्होंने इस्तीफा दे दिया है।