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एनजीटी के आदेश नहीं यहां मनमर्जी भारी, डार्क जोन में अनदेखी से खुदते जा रहे ट्यूबवैल

locationजालोरPublished: Jul 21, 2019 10:54:43 am

Submitted by:

Khushal Singh Bati

– शहर में पिछले 10 दिन में दो स्थान पर खुद चुके हैं अवैध ट्यूबवैल, कार्रवाई नहीं

jalore

– शहर में पिछले 10 दिन में दो स्थान पर खुद चुके हैं अवैध ट्यूबवैल, कार्रवाई नहीं

जालोर. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से जोधपुर में अवैध रूप से औद्योगिक इकाइयों में खुदे बोरवेल को बंद करने को लेकर केंद्रीय भूजल प्राधिकरण को इन्हें बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं, लेकिन जालोर में ऐसे ही हालात होने के बाद भी एनजीटी के आदेशोंं की जिला प्रशासन अवहेलना कर रहा है। जबकि करीब एक साल पूर्व ही यह सामने आ चुका है कि ग्रेनाइट इकाइयों में ट्यूबवैल की अवैध खुदाई हुई है। मामले में खास बात यह है कि एनजीटी ने जोधपुर में औद्योगिक इकाइयों में बने बोरवेल को पूर्णतय: अवैध माना था और इन्हें बंद करने के आदेश जारी किए। इसी तरह का आदेश जालोर की इकाइयों के लिए भी जारी जरुर हुआ था, लेकिन प्रशासन ने मामले को न केवल ठंडे बस्ते में डाला, बल्कि सर्वे भी सही तरीके से नहीं करवाया। नतीजा यह रहा कि केवल 70 अवैध ट्यूबवैल ही ग्रेनाइट इकाइयों में चिह्नित कर उन्हें बंद करने के लिए कवायद शुरू की गई। इस सर्वे को एक साल से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन इस कार्रवाई की पालना रिपोर्ट भी नहीं जांची गई। साथ ही यह भी नहीं जांचा गया कि चिह्नित अवैध ट्यूबवैल बंद हुए या अभी तक शुरू है। जबकि नए आदेशों के तहत इस तरह के अवैध बोरवेल पूरी तरह से बंद होने हैं।
रोकने वाला नहीं, खुदते जा रहे बोरवेल
सीधे तौर पर जिले में पेयजल स्कीम के अलावा केाई भी नया ट्यूबवैल नहीं खोदा जा सकता, लेकिन इसके बावजूद जिला मुख्यालय पर ही धड़ल्ले से अवैध रूप से ट्यूबवैल खोदे जा रहे हैं। न तो प्रशासन की ओर से कार्रवाई की जा रही है। न ही इन्हें बंद करवाया जा रहा हैं। वहीं खुदाई के बाद इन अवैध ट्यूबवैलों का बड़े स्तर पर व्यवसायिक उपयोग इनके पानी का हो रहा है।
कोई पड़ताल तक नहीं
मामले में खास बात यह है कि ट्यूबवैल खुदाई तक ही प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन खुदाई के बाद उन पर अक्सर कार्रवाई नहीं होती है। वहीं एक तरफ जहां जालोर जिला डार्क जोन में है और यहां ट्यूबवैल की खुदाई प्रतिबंधित है तो जालोर समेत आस पास के गांवों में कई दिनों तक डेरा डालने वाले बोरवेल मशीनों से भी विभागीय स्तर पर कार्रवाई नहीं की जाती तथा यह तक नहीं पूछा जाता कि जब जालोर जिला डार्क जोन में है तो मशीनें यहां तक क्यों पहुंची है। यदि प्रशासनिक स्तर पर इन मशीन संचालकों से कड़ाई से पूछताछ भी की जाए तो मामले में कई महत्वपूर्ण जानकारियां सामने आ सकती है। यही नहीं मशीनों के माध्यम से नए खुदे ट्यूबवैलो की जानकारी मिलने के साथ साथ इन्हें बंद करने की कार्रवाइ भी हो सकती है।
बड़े सर्वे की जरुरत
पहले स्तर पर ही यह साफ हो चुका है कि ग्रेनाइट इकाइयों में अवैध रूप से ट्यूबवैल खोदे गए हैं। यही नहीं इससे बड़ी भारी मात्रा में पानी का अंधाधुंध दोहन भी हो रहा है। पहले स्तर पर रीको की फौरी कार्रवाई में कुछेक बोरवेल आंकड़ों में पेश किए गए हैं। यह भी साफ है कि केवल 250 के करीब इकाइयों का ही सर्वे हुआ है। जबकि इकाइयों की संख्या 1300 से अधिक है। ऐसे में वास्तविक आंकड़े जुटाने और भूजल के अंधाधुुंध दोहन को रोकने के लिए बड़े स्तर पर कार्रवाई के लिए एनजीटी के आदेशों की वास्तविक रूप से पालना हो तथा अवैध बोरवेल का सत्यापन होने के साथ साथ इन अवैध बोरवेल को पूरी तरह से बंद कर धरती के जल को संचित किया जाए।
क्या जागेगा प्रशासन
इस मामले में अब तक की कार्रवाई में प्रशासन की भूमिका संदेहास्पद है। सीधे तौर पर डार्क जोन में अवैध बोरवेल खुदाई का मामला गंभीर है, लेकिन प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से नहीं लिया है। एनजीटी के आदेश प्रभावी होने के बाद क्या प्रशासन की ओर से इस मामले में व्यापक स्तर पर कार्रवाई होगी यह बात अहम होगी।

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