scriptयह सावधानियां जरुरी, वरना आप सोशल मीडिया के बन सकते हैं ंशिकार | These precautions are necessary for social midea | Patrika News

यह सावधानियां जरुरी, वरना आप सोशल मीडिया के बन सकते हैं ंशिकार

locationजालोरPublished: Sep 17, 2019 10:19:33 am

Submitted by:

Khushal Singh Bati

– कोई भी घटनाक्रम होने पर उसकी एवज में सोशल मीडिया पर डाले जा रही फर्जी पोस्ट, फैलाया जा रहा उन्माद

 - कोई भी घटनाक्रम होने पर उसकी एवज में सोशल मीडिया पर डाले जा रही फर्जी पोस्ट, फैलाया जा रहा उन्माद

– कोई भी घटनाक्रम होने पर उसकी एवज में सोशल मीडिया पर डाले जा रही फर्जी पोस्ट, फैलाया जा रहा उन्माद

खुशालसिंह भाटी


जालोर. इंटरनेट का उपयोग बढऩे के साथ सोशल मीडिया का उपयोग काफी हद तक बढ़ा है। इसके बड़े पैमाने पर सकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। वहीं कई मौकों पर सोशल मीडिया का उपयोग माहौल को बिगाडऩे में भी हो रहा है। वर्तमान हालातों की बात करें तो कई ऐसे मौके हैं, जहां पर सोशल मीडिया का बड़ा पैमाने पर दुरुपयोग से विकट हालात सामने आ चुके हैं। इससे जहां आमजन में भ्रम की स्थिति पैदा हो रही है। वहीं इससे लोगों में गलत और तथ्यहीन सूचनाएं भी मिल रही है। ऐसे ही हालात शनिवार को झाब थाने के भूतेल गांव में हुए घटनाक्रम में भी देखने को मिले। भूतेल में दो गुटों में श्मशान भूमि के रास्ते को लेकर विवाद उपजा और उसके बाद दोनों गुट आमने सामने हो गए और यह मामला खूनी संघर्ष तक आ पहुंचा, जिसके बाद पुलिस ने बीच बचाव कर मामले को शांत किया और क्रॉस मुकदमे भी दर्ज हुए, लेकिन घटनाक्रम के बाद इस मामले से जुड़े दो अलग अलग वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुए। एक वीडियो में पुलिस की मौजूदगी में दो समूह लड़ते हुए दिखाई दिए और एक दूसरा वीडियो करीब 500 मीटर दूरी से घटनास्थल को प्रदर्शित कर रहा था। बकायदा यह घटनाक्रम घटित हुआ, लेकिन सोशल मीडिया के माध्यम से यूजर्स ने किसी अन्य घटना के वीडियो को इस घटनाक्रम से जोड़कर भ्रम के हालात पैदा किए, जबकि दूसरा वीडियो इसी घटनास्थल का था।
शीर्ष न्यायालय में विचाराधीन है मामला
सोशल मीडिया के दुुरुपयोग से बन रहे हालात के चलते वर्तमान में एक मामला शीर्ष न्यायालय में विचाराधीन है। उच्चतम न्यायालय ने भी माना है और 13 सितंबर को सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा है कि क्या वह सोशल मीडिया अकाउंट्स को आधार से जोडऩे जा रही है। यदि ऐसा है तो सरकार बताए कि इसके लिए क्या नीति है। इस मामले में केंद्र सरकार 24 सितंबर को जवाब पेश करना है। मामले में खास बात यह है कि देशभर में उच्च न्यायालयों में जनहित याचिकाएं दायर कर सोशल मीडिया अकाउंट्स को आधार या किसी अन्य पहचान प्रमाण पत्र से जोडऩा अनिवार्य बनाने की मांग की गई है। हालांकि फेसबुक ने इस मामले में देश के अलग अलग न्यायालयों में विचाराधीन मामलों को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की है। ताकि न्यायिक आदेश में समानता बरकरार रह सके।
सोशल मीडिया का लगातार हो रहा दुरुपयोग
यह मामला काफी गंभीर है, क्योंकि हाल ही में जम्मू कश्मीर से धारा 370 के हटाए जाने के बाद सोशल मीडिया के उपयोग के दौरान इसके प्रभाव देखने को मिले। जैसे ही इस क्षेत्र में इंटरनेट सेवाएं शुरू हुई तो संबंधित क्षेत्र से जुड़े बहुत से वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए, जिसमें सीआरपीएफ के जवानों और कश्मीरी लोगों के बीच तनाव के हालात प्रदर्शित किए गए, जबकि इन मामलों में जांच में यह तथ्य सामने आया कि अधिकतर वीडियो काफी पुराने है, जिन्हें अब फिर से वायरल किया गया है, सीधे तौर पर सोशल मीडिया के दुरुपयोग पर फिलहाल सीधे तौर पर कोई गाइड लाइन नहीं होने से ये हालात हो रहे हैं और असामाजिक और शरारती तत्व कई मौकों पर इन हालातों में सामाजिक या धार्मिक उन्माद फैलाने में कामयाब भी हो जाते हैं। वहीं कई ऐसे मामले और घटनाक्रम भी लगातार सोशल मीडिया के जरिये वायरल किए जाते हैं, जो अन्य स्थानों के होते हैं।
बढ़ता जा रहा इंटरनेट उपयोग, निगरानी जरुरी
देश में इंटरनेट यूजर बेस का लगभग 88 प्रतिशत (49 करोड़ लोग) इंटरनेट के रेग्युलर यूजर हैं। इसमें उन सभी लोगों को शामिल किया गया है जिन्होंने पिछले 30 दिनों में कम से कम एक बार इंटरनेट का इस्तेमाल किया हो। रेग्युलर इंटरनेट यूजर्स में से 29 करोड़ यूजर शहरी इलाके से हैं। वहीं 20 करोड़ मिलियन एक्टिव यूजर ग्रामीण भारत से हैं। देश के इंटरनेट यूजर्स में से 42 प्रतिशत भागीदारी महिलाओं की है। जानकारों की मानें तो अब इस मामले पर विशेष निगरानी की जरुरत इसलिए जरुरी है क्योंकि सोशल मीडिया विकास देश के लिए उत्प्रेरक के रूप में भी काम कर सकता है या इसके विपरीत राष्ट्रीय खतरा भी बन सकता है। इससे पहले इसकी स्थित और खतरनाक हो जाए सरकार को इसके ऊपर ठोस कदम उठाने चाहिए।
पत्रिका अलर्ट: वायरल न्यूज को जांचें
सोशल मीडिया वर्तमान में ऐसा प्लेटफार्म बन चुका है, जिस पर हर व्यक्ति अपने विचार साझा जरुर करता है। कई मौके ऐसे संवेदशनील और गंभीर होते हैं, जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिए। ऐसे मुद्दे तक सोशल मीडिया पर वायरल होते हैं और उन पर दो व्यक्ति, दो समूह या दो समुदायों तक के बीच टकराहट की स्थिति बन जाती है। चूंकि वर्तमान समय में भारत में साइबर क्राइम या सोशल मीडिया पर गैर जिम्मेदाराना पोस्ट डालने पर कानूनी कार्रवाई की कोई विशेष गाइड लाइन नहीं है ऐसे में सोशल मीडिया का धड़ल्ले से दुरुपयोग हो रहा है। इस प्लेटफार्म पर डाली जाने वाली पोस्ट के लिए कोई व्यक्ति को पूरी तरह से जिम्मेदार भी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि कई मौकों पर ये आईडी भी फर्जी निकलती है। ऐसे में सरकार यह नीति लाने का प्रयास कर रही है, जिससे संबंधित आईडी को आधार कार्ड या अन्य आईडी कार्ड से जोड़ा जाए। जिससे फेक आईडी ब्लॉक हो और गलत या सामाजिक या धार्मिक उन्माद फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ जरुरत पडऩे पर कार्रवाई की जा सके।
इनका कहना
& वर्तमान समय सोशल मीडिया का है और हर शख्स इससे जरुर जुड़ा हुआ है, लेकिन कई मौकों पर ऐसे हालात बनते हैं, जबकि गलत, तथ्यहीन, सांप्रदायिक सौहार्द बिगाडऩे वाली या विवादित पोस्ट भी शेयर हो जाती है। यह क्रम आगे से आगे जारी रहता है। आमजन से अपील है कि कोई भी पोस्ट को जांच परख जरुर लें।
हिम्मत अभिलाष, एसपी, जालोर
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो