scriptहरितालिका तीज 2018: ऐसे रखें व्रत और करें ऐसे पूजा, पति की लम्बी होगी उम्र | HARIRALIKA TEEZ 2018 VRAT KATHA PUJA VIDHI IN HINDI | Patrika News

हरितालिका तीज 2018: ऐसे रखें व्रत और करें ऐसे पूजा, पति की लम्बी होगी उम्र

locationजालौनPublished: Sep 12, 2018 10:34:10 am

आज हरतालिका तीज है।

JALAUN

हरितालिका तीज 2018: ऐसे रखें व्रत और करें ऐसे पूजा, पति की लम्बी होगी उम्र

जालौन. आज हरतालिका तीज है। इस व्रत को महिलायें कुंवारी युवतियां रखती हैं और यह व्रत भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन किया जाता है। इस दिन गौरी-शंकर का पूजन किया जाता है। यह व्रत सभी कुआंरी यु‍वतियां व महिलाएं करती हैं। यह व्रत मुख्‍य रूप से उत्तर प्रदेश सहित कई इलाकों की महिलायें अपने सुहाग के लिये रखती हैं जिसे उन्हें लंबी आयु मिले।


इस व्रत को लेकर महिलाओं और युवतियों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है। महिलायें बाजार में जाकर इस व्रत के लिये खरीददारी कर रही हैं। साथ ही हाथों में मेंहदी लगवा रही हैं। हरितालिका तीज के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन शंकर-पार्वती की बालू या मिट्टी की मूति बनाकर पूजन किया जाता है। घर साफ-सफाई कर तोरण-मंडप आदि सजाया जाता है। आप एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती व उनकी सखी की आकृति बनाएं। इसके बाद देवताओं का आवाहन कर पूजन करें। इस व्रत का पूजन पूरी रात किया जाता है। प्रत्येक पहर में भगवान शंकर का पूजन व आरती होती है।

इस व्रत को लेकर महिलाओं का कहना है कि वह इस दिन का बेसब्री से इंतजार करती हैं। इसके अलावा इस दिन के एक दिन पहले वह बाजार में खरीददारी करती हैं। नये कपड़े लेती है साथ ही मेंहदी लगवाती हैं और सोलह श्रंगार का सामान खरीदती हैं। व्रत और पूजा करने वाली महिलाओं का कहना है वह निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिन पूजा होती है गाना-बजाना होता है और रात भर पूजा होती है। इस दिन पानी भी नहीं पिया जाता है।

इस व्रत के बारे में पंडित रामसिया तिवारी बताते हैं कि पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार शिव जी ने माता पार्वती को इस व्रत के बारे में विस्तार पूर्वक समझाया था। मां गौरा ने माता पार्वती के रूप में हिमालय के घर में जन्म लिया था। बचपन से ही माता पार्वती भगवान शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं और उसके लिए उन्होंने कठोर तप किया। 64 सालों तक निराहार रह करके तप किया। उन्होंने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप शुरू किया जिसके लिए उन्होंने रेत के शिवलिंग की स्थापना की। संयोग से हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का वह दिन था जब माता पार्वती ने शिवलिंग की स्थापना की। इस दिन निर्जला उपवास रखते हुए उन्होंने रात्रि में जागरण भी किया। उनके कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए माता पार्वती जी को उनकी मनोकामना पूर्ण होने का वरदान दिया। अगले दिन अपनी सखी के साथ माता पार्वती ने व्रत का पारण किया और समस्त पूजा सामग्री को गंगा नदी में प्रवाहित कर दिया।

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