प्रत्येक वर्ष की भांति इस बार भी बुढ़वा मंगल पर्व को लेकर उत्साह से तैयारियां की गयी थी मंदिरों की साफ-सफाई की गयी साथ ही मन्दिरों को लाईट व झूमर से सजाया गया। इस पर्व पर मंदिरों में भीड़ अत्यधिक होती है जिसके चलते महिला और पुरुष श्रद्धालुओं के दर्शनों के लिए अलग व्यवस्थाएं की गयी हैं। जालौन जनपद के कोंच के प्राचीन दोहर मंदिर के साथ साथ उरई के प्राचीन ठड़ेश्वरी मंदिर में भक्तों की भीड़ सुबह से ही उमड़ने लगी। बुढ़वा मंगल को लेकर धार्मिक आयोजन भी किये जा रहे हैं। साथ ही अखंड रामायण, सुंदरकांड का पाठ भी किया जा रहा है। इसके साथ ही कई स्थानों पर हनुमान चालीसा और हनुमान बाहुक का पाठ किया जा रहा है और भक्तों को प्रसाद के रूप मे लंगर भी बांटा जा रहा है। ठड़ेश्वरी मंदिर के महंत सिद्धन महाराज ने बताया कि आज के दिन जब भगवान राम के समक्ष बैठक हो रही थी तभी हनुमान जी का पूरे शरीर पर सफ़ेद बाल दिखाई दिया सभी लोग उन्हे बूढ़े दिखने लगे और उस दिन भाद्र पक्ष का अंतिम मंगलवार था तभी से यह पर्व मनाया जाने लगा।
वहीं दोहर मंदिर के पुजारी कमलेश दुबे ने बताया कि यहां पर दूर दराज से लोग दर्शन करने आते हैं और उनकी सारी व्यवस्था यहां के लोग करते है। इसके अलावा श्रद्धालुओं का कहना है वह कई वर्षों से आ रहे है और जो भी यहां पर सच्चे मन से जो भी मांगता है उसकी मनोकामना पूरी होती है।