scriptडिजिटल युग में पढऩे के तौर-तरीके भले ही बदले लेकिन पुस्तकों की महत्ता कम नहीं | Patrika News
जैसलमेर

डिजिटल युग में पढऩे के तौर-तरीके भले ही बदले लेकिन पुस्तकों की महत्ता कम नहीं

स्मार्टफोन और इंटरनेट की हर हाथ तक पहुंच हो जाने एवं नित नए मनोरंजक व आपस में जुड़ाव के प्रोग्राम-एप्प के आ जाने से किताबों की दुनिया निश्चित रूप से सिकुड़ती जा रही है। पुस्तकों से युवाओं व किशोरों का नाता अब भले ही आज से एक-दो दशक पहले वाला नहीं रह गया हो लेकिन नियमित अध्ययन, कैरियर निर्माण से लेकर जीवन के अन्य आयामों को समझने के लिए उन्हें पुस्तकों की शरण तो लेनी ही पड़ रही है।

जैसलमेरApr 22, 2024 / 07:53 pm

Deepak Vyas

jaisalmer news
स्मार्टफोन और इंटरनेट की हर हाथ तक पहुंच हो जाने एवं नित नए मनोरंजक व आपस में जुड़ाव के प्रोग्राम-एप्प के आ जाने से किताबों की दुनिया निश्चित रूप से सिकुड़ती जा रही है। पुस्तकों से युवाओं व किशोरों का नाता अब भले ही आज से एक-दो दशक पहले वाला नहीं रह गया हो लेकिन नियमित अध्ययन, कैरियर निर्माण से लेकर जीवन के अन्य आयामों को समझने के लिए उन्हें पुस्तकों की शरण तो लेनी ही पड़ रही है। यह और बात है कि अब कागज पर छपी पुस्तकों की इन वर्गों को उतनी जरूरत शायद नहीं है। डिजिटल युग में पढऩे के उनके तौर-तरीकों में भारी बदलाव जैसलमेर जैसे अपेक्षाकृत छोटे शहरों में भी देखने को मिल रहा है। इस बार विश्व पुस्तक दिवस की थीम रीड योर वे है। यानी इसके माध्यम से अपने रास्तों को पढऩे का आह्वान इस वर्ष की थीम कर रही है। नई पीढ़ी को पढऩे में अधिक आनंद आए और उनकी पसंद को तरजीह दी जाए, यह पूरी दुनिया के लिए एक तरह का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

बदला हुआ नजारा

विश्व पुस्तक दिवस के पूर्व दिवस जब पत्रिका टीम ने जैसलमेर के सबसे व्यस्त हनुमान चौराहा स्थित जिला पुस्तकालय का दौरा किया तो वहां नजारा पहले ही तुलना में काफी बदल गया है। जो लोग यह मानते हैं कि नई पीढ़ी पढऩे-लिखने की रुचियों को तज रही है, वे यहां आकर चौंक जाएंगे। इस पुस्तकालय और वहां बने वाचनालय में प्रतिदिन करीब 150 से 200 युवा पढऩे के लिए पहुंच रहे हैं। ये युवा कैरियर निर्माण के लिए अब पुस्तकों का अध्ययन कर रहे हैं। उनके पास मोबाइल भी होते हैं और वे उसके माध्यम से ऑनलाइन क्लास लेकर पढ़ाई करते नजर आते हैं। यह अवश्य है कि अब युवा पीढ़ी पहले की तरह साहित्य से जुड़ी किताबें उतनी रुचि से नहीं पढ़ती लेकिन बदले अंदाज में पढऩे का चलन जारी है। बड़ी उम्र के लोग आज भी साहित्य, दर्शन, सम सामयिकी आदि विषयों से जुड़ी किताबों का अध्ययन चाव से कर रहे हैं।

पुस्तकालय का कर रहे उपयोग

जिला पुस्तकालय में 47 हजार से ज्यादा पुस्तकें हैं। प्रत्येक आयुवर्ग के लोगों को यहां प्रत्येक विषय से संबंधित पुस्तकों को पढऩे की सुविधा है। इसके नियमित सदस्य अपनी पसंद की पुस्तक को इश्यू करवाकर घर भी ले जाते हैं और पढऩे के बाद लौटा देते हैं। सालाना 100 रुपए से भी कम में पुस्त्कों के इस खजाने की सदस्यता ली जा सकती है। पुस्तकालय में एक तो उन्हें पढऩे के लिए एकांत मिल जाता है, दूसरा किसी भी विषय पर आधिकारिक ज्ञान का स्रोत मिलता है। वहां बैठे युवाओं ने बताया कि भले ही आज गूगल, विकीपीडिया, कोरा आदि जैसे इंटरनेट आधारित जानकारियों के खजाने हाथ में आ गए हो, फिर भी छपी हुई पुस्तकों की बात अलग है। पुस्तकालय में एक दर्जन से ज्यादा हिंदी और अंगे्रजी के अखबार तथा करीब तीन दर्जन मैगजीनों का भी लोग भरपूर उपयोग कर रहे हैं।

ज्ञान का आगार हैं पुस्तकें

भाषा एवं पुस्तकालय विभाग की ओर से संचालित इस पुस्तकालय में पुस्तकों का संसार निरंतर विस्तृत होता जा रहा है। वर्तमान में यहां प्रत्येक विषय से संबंधित 47 हजार से ज्यादा पुस्तकें उपलब्ध हंै। विभाग प्रतिवर्ष नई-नई किताबें उपलब्ध करवाता है तो दशकों से कोलकाता के राजा राममोहन राय पुस्तकालय प्रतिष्ठान की तरफ से किताबें पाठकों के लिए मुहैया करवाई जा रही है। जैसलमेर में वर्ष 1961 में इस पुस्तकालय की स्थापना की गई। यहां अनेक बहुमूल्य किताबें उपलब्ध है। जिनमें 50 हजार रुपए कीमत वाली एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटेनिका का सेट भी शामिल है। यहां हिंदी के सभी नामचीन पुराने लेखकों से लेकर नए लेखकों की पुस्तकें तो हैं ही, साथ ही राजस्थानी, अंग्रेजी आदि भाषाओं की किताबें भी अच्छी खासी तादाद में उपलब्ध है। सेवानिवृत्त राजकीय कर्मी ओमप्रकाश बिस्सा ने बताया कि जैसलमेर के जिला पुस्तकालय में पढऩे के लिए बेशुमार पुस्तकें हैं और हर किसी को इस सेवा का अवश्य लाभ उठाना चाहिए। इसी तरह से राजकीय सेवा से निवृत्ति के बाद जिला पुस्तकालय में सेवाएं दे रहे हेमंत सिंह ने बताया कि जिला पुस्तकालय का महत्व समय के साथ और बढ़ गया है। अब यहां बड़ी तादाद में युवक-युवतियां नियमित अध्ययन के लिए आ रहे हैं।

Home / Jaisalmer / डिजिटल युग में पढऩे के तौर-तरीके भले ही बदले लेकिन पुस्तकों की महत्ता कम नहीं

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो