इसके अलावा प्रदूषण नियंत्रण मंडल, वन-पर्यावरण एवं प्रदूषण नियंत्रण मंडल के निर्देशन में पर्यावरण संकुल की भी स्थापना की जाएगी। इस दौरान वातावरण को बेहतर रखने के लिए जन जागरुकता अभियान औद्योगिक जगहों, स्कूल-कॉलेजों, मॉल्स, सोसायटी के बीच से लेकर अन्य जगहों पर भी चलाया जाएगा।
ऐसे समझें
मंडल के अधिकारियों के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर और महाराष्ट्र की तर्ज पर यह पहल राजस्थान में की है। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल न्यूट्रोलॉजी पुणे की ओर से अध्ययन करवाया जा रहा है। इसमें वायु गुणवत्ता सूचकांक के स्तर का पांच, सात और दस दिन का अध्ययन किया जाता है। जयपुर में भी बीते पांच दिन के आंकड़ों के आधार पर आगामी पांच दिन की वायु गुणवत्ता सूचकांक की भविष्यवाणी की जाएगी।
वर्ष 2020 में एक आईआईटी कानपुर की मदद से एक स्टडी करवाई थी। इसके बाद डाटा को संग्रहित किया गया। उद्योगों, साधन, अन्य परिवहन, वेस्ट मैनेजमेंट, सड़क पर उड़ती धूल सहित अन्य सभी को शामिल किया है। इस आधार पर मॉडल बनाकर भविष्यवाणी की जाएगी। आगामी छह महीने में ऐप की लांचिंग के साथ ही जानकारी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण मंडल की वेबसाइट पर मिलेगी।
प्रदूषण मुक्त राजस्थान की संकल्पना को साकार करने के लिए हर संभव कदम की ओर कार्य किया जा रहा है। इसके लिए कवायद लगातार जारी है। प्रदेश में जल्द दस नए वायु गुणवत्ता सूचकांक व्हीकल्स के जरिए जगह-जगह से प्रदूषण के स्तर की जांच की जाएगी।
शिखर अग्रवाल, अध्यक्ष, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल में 15 सदस्य मनोनीत
भिवाड़ी की आबोहवा में सुधार
अधिकारियों के मुताबिक भिवाड़ी देश में सबसे प्रदूषित शहरों में शुमार था। यहां बीते दो साल पहले प्रदूषण का स्तर 400 से अधिक था। बीते साल और इस साल यह स्तर 260 के आसपास दर्ज किया गया। पूर्वानुमान के आधार पर आंकलन से कई फायदें होंगे। दिल्ली में हर गतिविधि को एक्यूआई से जोड़ा गया है। अधिक प्रदूषण का स्तर होने पर फैलाने वाले कारकों पर लगाम लगाकर वातावरण को बेहतर रखने और आबोहवा को बेहतर रखने का प्रयास किया जाएगा।
यह है वायुगुणवत्ता सूचकांक मानक
0 से 50 -अच्छी
51 से 100-संतोषजनक
101 से 200 थोड़ा खराब
201-300- खराब
301-400-बहुत खराब
401-500-गंभीर
500 से ऊपर-इमरजेंसी