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आठ साल पहले हादसे में गंवाया पैर… अब सिंधू के साथ बैडमिंटन में रचा इतिहास

locationजयपुरPublished: Aug 25, 2019 07:34:13 pm

Submitted by:

Satish Sharma

रविवार का दिन भारतीय बैडमिंटन के लिए बेहद खास रहा एक ओर जहां सिंधू ने महिला एकल का खिताब जीतकर इतिहास रचा वहीं दूसरी ओर भारत की मानसी जोशी ने विश्व पैरा बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया।

Basel। PV Sindhu की विश्व खिताबी सफलता के साथ-साथ Mansi Joshi ने भी Indian Pera Badamintion में अपना नाम स्वर्णाक्षरों में दर्ज करा लिया। मानसी ने बासेल में World Pera Badamintion Championship के महिला एकल एसएल-3 फाइनल में हमवतन पारुल परमार को 21-12, 21-7 से हराकर खिताब जीता। मानसी ने 2011 में एक दुर्घटना में अपना बायां पैर गंवाया था और उसके आठ साल बाद फाइनल में उन्होंने तीन बार की विश्व चैंपियन परमार को शनिवार को पराजित किया। Indian Paralympic Committee ने मानसी को इस जीत के लिए बधाई दी है।
प्रमोद-मनोज का युगल का स्वर्ण
इस बीच प्रमोद भगत और मनोज सरकार ने पुरुष युगल एसएल 3-4 वर्ग के फाइनल में हमवतन नितेश कुमार और तरुण ढिल्लों को 14-21, 21-15, 21-16 से हराकर स्वर्ण पदक जीता। रविवार को प्रमोद भगत ने पुरुष ङ्क्षसगल एसएल 3 के फाइनल में इंग्लैंड के डेनियल बैथल को 6-21, 21-14, 21-5 से हराकर स्वर्ण पदक जीता जबकि तरुण कोना को पुरुष ङ्क्षसगल एसएल 4 के फाइनल में फ्रांस के लुकास मजूर से हार का सामना करना पड़ा। तरुण ने पहले गेम में 13-14 के स्कोर पर मैच छोड़ दिया। भारत ने इस प्रतियोगिता में कुल 14 पदक जीते जिसमें तीन स्वर्ण और तीन रजत शामिल हैं।
सपने के सच होने जैसा : मानसी जोशी
मानसी जोशी ने पहला विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीतने के बाद कहा कि यह उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा है। जोशी ने 2011 में एक दुघर्टना में अपना बायां पैर खो दिया था और चार साल बाद उन्होंने बैडमिंटन खेलना शुरू किया। वह पुलेला गोपीचंद अकादमी में ट्रेनिंग करती हैं। मैच जीतने के बाद जोशी ने कहा, मैंने बहुत कठिन ट्रेनिंग की है..मैंने एक दिन में तीन सेशन ट्रेनिंग की है। मैंने फिटनेस पर ध्यान केंद्रित किया था, इसलिए मैंने कुछ वजन भी कम किया और अपनी मांसपेशियों को बढ़ाया। मैंने जिम में अधिक समय बिताया, सप्ताह में छह सेशन ट्रेनिंग की। जोशी ने कहा, मैंने अपने स्ट्रोक्स पर भी काम किया, मैंने इसके लिए अकादमी में हर दिन ट्रेनिंग की। मैं समझती हूं कि मैं लगातार बेहतर हो रही हूं और अब यह दिखना शुरू हो गया है।
2015 से खेल रही बैडमिंटन
अपने सफर के बारे में बात करते हुए जोशी ने कहा, मैं 2015 से बैडमिंटन खेल रही हूं। विश्व चैम्पियनशिप में पदक जीतना किसी सपने के सच होने जैसा होता है। जोशी ने बताया कि वह चलने के लिए अब New Working Prosthetic Socket का उपयोग कर रही हैं। इससे पहले वह पांच साल से एक ही सॉकेट का इस्तेमाल कर रही थीं जिसके कारण वर्कआउट के दौरान उनकी रफ्तार धीमी हो रही थी।
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