मिट्टी की उर्वरक क्षमता बढ़ाने के लिए भी किसान तरबूज की खेती करते हैं। इसकी खेती के लिए लगभग 25 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान और रेतीली दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है।
किसानों ने बताया, अप्रैल महीने में आने वाले तरबूज की खेती जनवरी-फरवरी में शुरू हो जाती है। लो- टनल एवं सरकण्डे लगाकर पौधों को कड़ाके की ठंड से बचाया जाता है। ड्रिप सिस्टम से सिंचाई करते हैं। एक बीघा में लगभग दो लाख रुपए तक की आय प्राप्त हो जाती है।
तरबूज की फसल रोपाई के तीन से चार महीने के बाद काटी जा सकती है। इसकी फसल कम समय, कम खाद और कम पानी से ही तैयार हो जाती है। समय- समय पर कीट-रोग नियंत्रण दवा का छिड़काव करना चाहिए। क्षेत्र में लगभग 250 बीघा भूमि पर तरबूज, खरबूजे व सब्जियों की खेती की जा रही है। फसल चक्र के रूप में भी बागवानी करना फायदेमंद होती है