रिसर्च में बताया गया है कि इस ऐप के लिए किसी तरह के इंस्टॉलेशन की जरूरत नहीं होती और यह कोरोना वायरस से जुड़ी जानकारी वाला मैप कंप्यूटर पर दिखाता है। इसकी मदद से हैकर्स एक मैलिशस बाइनरी फाइल क्रिएट कर देते हैं, जिसे बाद में कंप्यूटर पर इंस्टॉल कर दिया जाता है। फेक वेबसाइट पर ट्रैकिंग के लिए बिल्कुल सही मैप्स दिए गए हैं लेकिन अलग URL इनसे हाइपरलिंक हैं। फिलहाल केवल विंडोज ओएस यूजर्स पर ही ऐसे अटैक्स किए गए हैं लेकिन यह बाकी सिस्टम्स पर भी फैल सकता है।
फर्म की ओर से कहा गया है, ‘नया मैलवेयर को एक मैलिशस सॉफ्टवेयर AZORult ऐक्टिवेट करता है। यह सॉफ्टवेयर दरअसल जानकारी एक तरह का इन्फॉर्मेशन स्टीलर है और इसका पता पहली बार 2016 में चला था।इसकी मदद से ब्राउजिंग हिस्ट्री, कुकीज, आईडी/पासवर्ड्स, क्रिप्टोकरंसी और बाकी डेटा चुराया जा सकता है।इसकी मदद से अडिशनल मैलवेयर भी इन्फेक्टेड मशीन्स में डाउनलोड किया जा सकता है।’ कोरोना वायरस संक्रमण और इसे मॉनीटर करने वाली मशीनरी पर सोच-समझकर भरोसा करने में ही समझदारी है।