ये है पूरा मामला
दरअसल हनुमानगढ़ जिले के रावतसर में प्रोपर्टी कारोबारी प्रेम काली रावण की हत्या नगर पालिका चेयरमैन हरवीर साहरण और उसके साथियों ने कर दी थी। हत्या के पीछे यह कारण था कि हरवीर की मां और प्रेम काली की मां एक साथ पार्षद के चुनाव के लिए खडी हो रही थी। जबकि हरवीर ने ही प्रेम काली रावण को पाला-पोसा था और उसकी पढ़ाई का खर्च उठाया था। हरवीर ने प्रेम काली को कहा कि वह अपनी मां को पार्षद चुनाव के लिए खड़ा नहीं करे, लेकिन प्रेम काली नहीं माना। बस इसी बात पर उसकी हत्या कर दी गई।
दरअसल हनुमानगढ़ जिले के रावतसर में प्रोपर्टी कारोबारी प्रेम काली रावण की हत्या नगर पालिका चेयरमैन हरवीर साहरण और उसके साथियों ने कर दी थी। हत्या के पीछे यह कारण था कि हरवीर की मां और प्रेम काली की मां एक साथ पार्षद के चुनाव के लिए खडी हो रही थी। जबकि हरवीर ने ही प्रेम काली रावण को पाला-पोसा था और उसकी पढ़ाई का खर्च उठाया था। हरवीर ने प्रेम काली को कहा कि वह अपनी मां को पार्षद चुनाव के लिए खड़ा नहीं करे, लेकिन प्रेम काली नहीं माना। बस इसी बात पर उसकी हत्या कर दी गई।
हनुमानगढ़ पुलिस की भयंकर लापरवाही आई सामने
17 साल पुराने इस केस में सामने आया है कि हनुमानगढ़ पुलिस ने इस मामले में भयंकर लापरवाही की थी। प्रेम के परिजनों का आरोप था कि प्रेम लापता है और उसकी हत्या हो सकती है। लेकिन पुलिस ने दो साल तक तो गुमशुदगी तक दर्ज नहीं की। परिजन यहां वहां दौड़ लगाते रहे और पुलिस अफसरों से पत्राचार करते रहे तब जाकर पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज की। उसके बाद केस पर 2004, 2007 और 2017 में एफआर तक लगा दी। परिजन बोलते रहे कि उसकी हत्या हो गई है लेकिन पुलिस मानने तक को तैयार नहीं थी।
17 साल पुराने इस केस में सामने आया है कि हनुमानगढ़ पुलिस ने इस मामले में भयंकर लापरवाही की थी। प्रेम के परिजनों का आरोप था कि प्रेम लापता है और उसकी हत्या हो सकती है। लेकिन पुलिस ने दो साल तक तो गुमशुदगी तक दर्ज नहीं की। परिजन यहां वहां दौड़ लगाते रहे और पुलिस अफसरों से पत्राचार करते रहे तब जाकर पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज की। उसके बाद केस पर 2004, 2007 और 2017 में एफआर तक लगा दी। परिजन बोलते रहे कि उसकी हत्या हो गई है लेकिन पुलिस मानने तक को तैयार नहीं थी।
17 साल पुराने केस को एसओजी के इन अफसरों ने खोल दिया
प्रेम काली रावण की हत्या के केस पर तीन बार एफआर लगने के बाद जब परिजन भी शांत हो गए तब जाकर अचानक पुलिस को एक बदमाश मिला। २०१६ में पकड़े गए इस बदमाश का नाम वजीर खान था। हनुमानगढ़ की रावतसर पुलिस ने उसे पकड़ा और पूछताछ की तो पता चला कि साल २००१ में लापता हुए प्रेम काली रावण की हत्या कर दी गई थी। केस आगे बढ़ा और जब जांच एसओजी के अफसरों तक पहुंची तो एसओजी अफसरों ने पूछताछ के लिए हत्या के आरोपिता वर्तमान पार्षद हरवीर सहारण और उसके साथी भीम बेनीवाल को उठा लिया। दोनो से सिर्फ पांच ही मिनट पूछताछ की गई पांच मिनट के भीतर ही दोनो ने हत्या करने और शव को खुर्द बुर्द करना स्वीकार लिया। हत्या के इस केस के साथ ही एक हत्या का मामला और चल रहा है। एसओजी अफसर करण शर्मा का कहना है कि तेरह से चौदह साल पुराने इस केस को भी कुछ घंटों में खोल दिया जाएगा।
प्रेम काली रावण की हत्या के केस पर तीन बार एफआर लगने के बाद जब परिजन भी शांत हो गए तब जाकर अचानक पुलिस को एक बदमाश मिला। २०१६ में पकड़े गए इस बदमाश का नाम वजीर खान था। हनुमानगढ़ की रावतसर पुलिस ने उसे पकड़ा और पूछताछ की तो पता चला कि साल २००१ में लापता हुए प्रेम काली रावण की हत्या कर दी गई थी। केस आगे बढ़ा और जब जांच एसओजी के अफसरों तक पहुंची तो एसओजी अफसरों ने पूछताछ के लिए हत्या के आरोपिता वर्तमान पार्षद हरवीर सहारण और उसके साथी भीम बेनीवाल को उठा लिया। दोनो से सिर्फ पांच ही मिनट पूछताछ की गई पांच मिनट के भीतर ही दोनो ने हत्या करने और शव को खुर्द बुर्द करना स्वीकार लिया। हत्या के इस केस के साथ ही एक हत्या का मामला और चल रहा है। एसओजी अफसर करण शर्मा का कहना है कि तेरह से चौदह साल पुराने इस केस को भी कुछ घंटों में खोल दिया जाएगा।