scriptमोदी सुनामी ने कई सियासी परिवाराें की डुबोई नैया, वैभव और मानवेंद्र समेत कई दिग्गज हारे | Tsunamo wave sinks Rajasthan political families in 2019 elections | Patrika News

मोदी सुनामी ने कई सियासी परिवाराें की डुबोई नैया, वैभव और मानवेंद्र समेत कई दिग्गज हारे

locationजयपुरPublished: May 26, 2019 03:23:06 pm

Submitted by:

santosh

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व केन्द्रीय मंत्री नाथूराम मिर्धा एवं जसवंत सिंह सहित कई वरिष्ठ नेताओं के परिवार इस बार लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लहर के आगे अपना राजनीतिक प्रभुत्व फिर से दिखाने में असफल रहे

manvendra singh

जयपुर। राजस्थान की विभिन्न सीटों पर वर्चस्व कायम कर चुके मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व केन्द्रीय मंत्री नाथूराम मिर्धा एवं जसवंत सिंह सहित कई वरिष्ठ नेताओं के परिवार इस बार लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की लहर के आगे अपना राजनीतिक प्रभुत्व फिर से दिखाने में असफल रहे।

 

गहलोत का जोधपुर के लोकसभा एवं विधानसभा क्षेत्र में पिछले करीब चार दशकों से राजनीतिक दबदबा रहा है और वह इसके चलते वर्ष 1980 में पहली बार सांसद बनने से लेकर पांच बार सांसद चुने जाने तथा केन्द्र में मंत्री बनने के बाद राजस्थान में तीसरी बार मुख्यमंत्री बने है। ऐसे राजनीतिक प्रभुत्व के धनी एवं जादूगर कहे जाने वाले गहलोत का भी इस बार मोदी लहर के आगे कोई जादू नहीं चल पाया और जोधपुर से उनका बेटा वैभव गहलोत केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत के आगे करीब पौने तीन लाख मतों से चुनाव हार गए।

 

नागौर जिले में 1952 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीतने के बाद राज्य में मंत्री एवं वर्ष 1971 के बाद रिकॉर्ड छह बार लोकसभा का चुनाव जीतकर पांच दशक तक राजनीतिक प्रभुत्व रखने वाले नाथूराम मिर्धा का परिवार भी इस बार अपना राजनीतिक दबदबा कायम करने में असफल रहा। नागौर से मिर्धा की पोती और पूर्व सांसद ज्योति मिर्धा तीसरी बार लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में उतरी, लेकिन मोदी लहर के चलते भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरे राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के प्रत्याशी हनुमान बेनीवाल के सामने करीब दो लाख मतों से चुनाव हार गई।

 

ज्योति मिर्धा लगातार दूसरी बार चुनाव हार जाने से अब नागौर कसभा क्षेत्र में मिर्धा परिवार का राजनीतिक अस्तित्व खतरे में पड़ता नजर आ रहा है। हालांकि जिले की डेगाना विधानसभा क्षेत्र में नाथूराम मिर्धा के भतीजे और पूर्व विधायक रिछपाल मिर्धा के पुत्र विजयपाल मिर्धा कांग्रेस विधायक है। बाड़मेर-जैसलमेर संसदीय क्षेत्र में पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह का काफी राजनीतिक दबदबा रहा है, हालांकि वह इस क्षेत्र में कभी चुनाव नहीं जीत पाए, लेकिन उनके पुत्र मानवेन्द्र सिंह भाजपा प्रत्याशी के रुप में सांसद रह चुके हैं ।

 

इस बार उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में चुनाव लड़कर फिर अपना राजनीतिक दबदबा कायम करने की कोशिश की लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। वह भाजपा प्रत्याशी पूर्व विधायक कैलाश चौधरी के सामने भारी मतों से चुनाव में मात खा गए। भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुभाष महरिया भी इस बार पाला बदलकर अपना राजनीतिक प्रभुत्व को फिर से कायम करने का प्रयास किया, लेकिन मोदी लहर के आगे वह भी नहीं टिक पाए। महरिया 1998 से लगातार तीन बार भाजपा प्रत्याशी के रुप में सांसद रहे और इस दौरान मंत्री भी बने।

 

इसी प्रकार पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह भी अलवर संसदीय क्षेत्र से चुनाव नहीं जीत पाए और वह अपनी मां महेन्द्रा कुमारी एवं खुद के राजनीतिक प्रभुत्व को फिर से कायम करने में असफल रहे। उन्हें भाजपा के नए चेहरे बाबा बालकनाथ ने चुनाव में शिकस्त दी। इसके अलावा बांसवाड़ा संसदीय क्षेत्र में 1996, 1999 एवं 2009 में कांग्रेस प्रत्याशी के रुप में सांसद रहे ताराचंद भगोरा ने भी इस बार चुनाव मैदान में उतर कर फिर से अपना राजनीतिक प्रभत्व कायम करने का प्रयास किया लेकिन चुनाव नहीं जीत पाए। बांसवाड़ा में भाजपा के पूर्व विधायक एवं पूर्व राज्यसभा सांसद कनकमल कटारा ने लोकसभा चुनाव जीता। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा भी टोंक-सवाईमाधोपुर से चुनाव जीतने में सफल नहीं हो पाए और वह सांसद सुखवीर सिंह जौनपुरिया के सामने दूसरी बार चुनाव हार गए।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो