शुक्र तारा वैशाख कृष्णा पंचमी 29 अप्रेल को रात्रि 11 बजकर 14 मिनट पर पूर्व दिशा में अस्त होगा। इसके बाद आषाढ़ कृष्णा अमावस्या 7 जुलाई को शाम 4:20 बजे उदय होगा। इसी दौरान वैशाख कृष्णा चतुर्दशी 7 मई से ज्येष्ठ कृष्ण अष्टमी 31 मई तक गुरु का तारा अस्त रहेगा। अत: गुरु व शुक्र तारा अस्त होने से विवाह समेत मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी। वैशाख शुक्ला तृतीया आखातीज का अबूझ मुहूर्त होने से विवाह करने में कोई दोष नहीं रहेगा। इसी तरह पीपल पूर्णिमा पर व भड़ली(भड़ल्या) नवमी भी अबूझ मुहूर्त रहेगा।
अबूझ मुहूर्त में चार सावे
ज्योतिषाचार्य पं. सुरेश शास्त्री ने बताया कि 29 अप्रेल से 7 जुलाई तक शुक्र तारा अस्त रहेगा। इसी दौरान 7 मई से गुरु भी अस्त रहेगा। गुरु व शुक्र तारा अस्त होने से विवाह समेत मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी। विवाह के शुद्ध व शुभ मुहूर्त के लिए जुलाई तक इंतजार करना होगा। इस बीच वैशाख शुक्ला तृतीया आखातीज 10 मई, 16 मई जानकी नवमी को अबूझ मुहूर्त होने से विवाह करने में कोई दोष नहीं रहेगा। इसी तरह 23 मई पीपल पूर्णिमा पर व 15 जुलाई को भड़ल्या नवमी पर भी अबूझ मुहूर्त रहेगा। इसी प्रकार जून महीने में गंगा दशमी का भी अबूझ मुहूर्त रहेगा।
देवशयनी से देवउठनी तक मुहूर्त नहीं
पं. अक्षय शास्त्री के अनुसार जुलाई में भी विवाह के केवल 6 मुहूर्त ही है। इसके पश्चात 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी से 16 नवंबर तक चातुर्मास लगने से शुभ कार्य नहीं किए जा सकेंगे। चातुर्मास में करीब 66 दिनों के लिए विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, उद्यापन आदि मांगलिक कार्य पर रोक लग जाएगी।
कैसे होता तारा अस्त
सौरमंडल के नवग्रहों में शुक्र का विशेष महत्व है। भौतिक सुख और सुविधाओं का कारक होने से शुक्र अस्त होने से किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्य वर्जित माने गए है। शुक्र के आकाश में सबसे तेज चमकने वाला तारा माना जाता है। शुक्र जब सूर्य के दोनों ओर 10 डिग्री या इससे अधिक पास आ जाता है तो शुक्र अस्त हो जाता है।
तारा अस्त में क्या न करें
विवाह, गृह प्रवेश, बावड़ी, भवन निमार्ण, कुआं, तालाब, बगीचा, जल के बडे होदे, व्रत का प्रारम्भ, उद्यापन, प्रथम उपाकर्म, नई बहू का गृह प्रवेश, देवस्थापन, दीक्षा, उपनयन, जडुला उतारना आदि कार्य नहीं करें।