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जज नियुक्ति में आरक्षित श्रेणी को आय सीमा में छूट, महिलाओं को नहीं

locationजयपुरPublished: Feb 23, 2019 10:12:42 am

Submitted by:

Mridula Sharma

पहली बार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने किया निर्णय

supreme court

जज नियुक्ति में आरक्षित श्रेणी को आय सीमा में छूट, महिलाओं को नहीं

शैलेन्द्र अग्रवाल/जयपुर . सात लाख रुपए से कम आय वाली महिला वकील और मुफ्त पैरवी करने वाले वकील हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश नहीं बन पाएंगे। न्यायाधीश चयन के लिए वकील की सालाना आय सात लाख रुपए निर्धारित है, जिसमें कुछ वर्गों के वकीलों को छूट दी गई है। इनमें महिलाओं को शामिल नहीं किया है।
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इलाहाबाद के वकीलों को न्यायाधीश बनाने के लिए केन्द्र सरकार को भेजी गई सिफारिश में हाल ही सात लाख रुपए आयसीमा की शर्त का स्पष्ट उल्लेख किया है। इसी में एससी, एसटी, ओबीसी के वकीलों को छूट देने का प्रावधान किया है। जिस कॉलेजियम में इन वर्गों के वकीलों को छूट देने का इरादा जाहिर किया, उसमें देश के 5 वरिष्ठतम न्यायाधीश चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस एस ए बोब्डे, जस्टिस एन वी रमना व जस्टिस अरुण मिश्रा का नाम शामिल था।
यह कॉलेजियम की बैठक 12 फरवरी को हुई थी। कॉलेजियम ने जहां महिलाओं को अन्य वंचित वर्गों से अलग रखा है, वहीं केन्द्र सरकार ने 6 फरवरी 19 को लोकसभा में जवाब दिया है कि उसकी ओर से सभी हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीशों को महिलाओं के नाम भी भेजने को कहा गया है। उधर, कॉलेजियम के महिलाओं की अनदेखी करने के मामले देशभर के बार काउंसिल, बार एसोसिएशन और महिला संगठन मौन हैं।
सरकार के वकीलों को छूट, मुफ्त पैरवी करने वालों को लाभ नहीं
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने सात लाख रुपए सालाना आय से छूट वाली श्रेणी में एससी—एसटी—ओबीसी के साथ सरकार की पैरवी करने वाले स्टेंडिंग और पैनल वाले वकीलों को शामिल माना है। परन्तु विधिक सेवा प्राधिकरण के पैनल, न्यायमित्र या स्वेच्छा से गरीबों की मुफ्त पैरवी करने वाले वकीलों को छूट का लाभ नहीं मिल पाएगा, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इनका उल्लेख नहीं किया है।
राजस्थान, एक महिला न्यायाधीश वह भी बाहर से
राजस्थान हाईकोर्ट में एक महिला न्यायाधीश हैं, लेकिन वे पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से हैं। स्थानीय महिला न्यायाधीश यहां नहीं हैं और वकील कोटे से अब तक महिला न्यायाधीश बनी भी नहीं है। हालांकि दूसरे प्रदेशों की महिला न्यायाधीश या न्यायिक अधिकारी कोटे से महिला न्यायाधीश राजस्थान हाईकोर्ट में रही हैं।
सर्वाधिक महिला जज, पर अनुपात में कम
हाईकोर्ट कुल महिला पद जज
मद्रास 75 11
बॉम्बे 94 09
इलाहाबाद 160 07
कलकत्ता 72 07
दिल्ली 60 07
पंजाब हरियाणा 85 07

06 हाईकोर्ट में एक भी महिला न्यायाधीश नहीं
तेलंगाना, हिमाचल प्रदेशउत्तराखंड, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर हाईकोर्ट ऐसे हैं, जहां एक भी महिला न्यायाधीश नहीं है।
कॉलेजियम को बाध्य नहीं कर सकते
संविधान में उच्च न्यायपालिका में आरक्षण का प्रावधान नहीं है। फिर भी केंद्र सरकार ने सीजेआइ व सभी हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीशों से एससी-एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक व महिलाओं के नाम भी भेजने को कहा है। इसके लिए केंद्र सरकार ने कई बार एडवाइजरी नोट भेजे हैं। लेकिन कॉलेजियम को मानने के लिए बाध्य नहीं कर सकते।
पीपी चौधरी, केन्द्रीय विधि राज्य मंत्री
छूट नहीं देना गलत
महिलाओं व समाज के गरीब वर्गों के लिए पैरवी करने वाले वकीलों को आयसीमा में छूट नहीं देना गलत है। इन वर्गों को भी आयसीमा में छूट मिलनी चाहिए, इसके लिए राजस्थान बार काउंसिल की बैठक में मुद्दा उठाया जाएगा।
संजय शर्मा, सदस्य एवं पूर्व चैयरमेन, राजस्थान बार काउंसिल
कोटा सुरक्षित हो
न्यायपालिका में महिला वकीलों की संख्या बेहद कम है। महिलाएं पर्याप्त संख्या में आगे आएं, इसके लिए महिलाओं का कोटा सुरक्षित होना चाहिए और आय सीमा में महिलाओं को भी छूट तो मिलनी ही चाहिए।
संगीता शर्मा, महासचिव, राजस्थान हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर
मैंने तो मांग उठाई है
महिला वकीलों को भी आय सीमा में छूट होनी चाहिए। एससी, एसटी, ओबीसी को छूट दी है, उसका लाभ उन वर्ग की महिलाओं को मिलना चाहिए। मैंने तो संसद सदस्यों में भी महिलाओं का 30% कोटा तय करने की मांग उठाई है।
जॉर्ज बेकर, मनोनीत सांसद, एंग्लो इंडियन कोटा (प. बंगाल)
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