जयपुर में गर्मी ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। कुछ ही देर बाद गला सूखने लगता है। चिलचिलाती धूप में प्यास लगना स्वभाविक है। इसके बावजूद शहर में शीतल पेयजल के इंतजाम नहीं हुए हैं।
शहर में नारायणसिंह सर्किल, ब्रह्मपुरी, गर्वमेंट हॉस्टल, चार दरवाजा पर लगे वाटर कूलर रखरखाव के कारण कबाड़ हो चुके हैं। लोगों को पानी की बूंद—बूंद के लिए तरसना पड़ रहा है।
नगर निगम व अन्य संस्थाओं की ओर से शहरभर में लगाए अधिकांश वाटर कूलर खराब पड़े हैं। शहर में अस्पताल से लेकर बाजार और चौराहों पर केवल वाटर कूलर के ढांचे दिखाई पड़ रहे हैं।
शहर में आने वाले मेहनतकश लोगों को प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। रखरखाव के अभाव में वाटर कूलर बंद पड़े हैं। हालात यह है कि नलों की टूटी तक भी गायब हैं।
गर्मी के बढ़ते प्रकोप के बीच गला तर करने के लिए ऑटो चालक, रिक्शा, ठेला चालक एवं मजदूर वर्ग को प्याऊ खोजने पर भी नहीं मिल रही है। ऐसे में बोतलबंद पानी खरीदने को मजबूर होना पड़ रहा है।