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छात्रसंघ चुनाव में विद्यार्थियों का मन नहीं गया सत्ता के संग

locationजयपुरPublished: Sep 01, 2018 11:12:19 am

Submitted by:

HIMANSHU SHARMA

गत आठ साल से सत्ताधारी राजनीतिक दल के विचारधारा से जुड़े छात्र संगठन को नकारा राजविवि के विद्यार्थियों ने

student union election 2018

Student’s mind was not in the minds of students in elections

जयपुर
राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्रसंघ चुनावों में गत आठ सालों के परिणामों की बात करें तो छात्रसंघ चुनाव में विद्यार्थियों का मन सत्ता के संग नहीं गया। राजस्थान विश्वविद्यालय के गत आठ वर्ष के परिणाम चौंकाने वाले रहे है। जिसमें विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने प्रदेश की सत्ता में काबिज समर्थित छात्र संगठन के पक्ष में वोट नहीं किया है। गत आठ वर्ष के छात्रसंघ चुनाव के रहे नतीजों के अनुसार विद्यार्थियों ने प्रदेश के सत्ताधारी राजनीतिक पार्टी के विचारधारा वाले छात्र संगठन को नकारते हुए उसे वोट नहीं दिया। ऐसे में विश्वविद्यालय के चुनाव परिणामों में एक ट्रेंड निकल कर सामने आया है। जिसमें अगर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रही तो विद्यार्थियों ने विश्विविद्यालय में कांग्रेस समर्थित छात्र संगठन एनएसयूआई का साथ नहीं दिया और जब राजस्थान में सरकार भाजपा की रही तो विद्यार्थियों ने भाजपा समर्थित छात्र संगठन एबीवीपी को वोट नहीं दिया। प्रदेश में वर्ष 2005 से 2009 तक छात्रसंघ चुनाव पर कोर्ट की रोक रही। ऐसे में इस दौरान चुनाव नहीं हुए। इसके बाद जब छात्रसंघ चुनाव हुए तो राजस्थान में वर्ष 2010 से 2013 तक प्रदेश में कांग्रेस की सरकार रही। लेकिन राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्रसंघ की सत्ता एबीवीपी के हाथ में रही। इसी तरह वर्ष 2014 से वर्ष 2017 तक प्रदेश में भाजपा की सरकार रही लेकिन इस दौरान राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्रसंघ की सत्ता एनएसयूआई और निर्दलीय के हाथ में रही।
प्रदेश में कांग्रेस की सरकार,एबीवीपी के हाथ में छात्रसंघ की सत्ता
वर्ष 2010 में मनीष यादव ने एनएसयूआई के बागी मुकेश भाकर को हराया।
वर्ष 2011 में निर्दलीय प्रभा चौधरी ने एबीवीपी के बागी महेन्द्र सिंह को हराया।
वर्ष 2012 एबीवीपी के राजेश मीणा ने एनएसयूआई के विद्याधर मील को हराया।
वर्ष 2013 एबीवीपी के कानाराम जाट ने एनएसयूआई की शैफाली मीणा को हराया।
प्रदेश में भाजपा की सरकार,एनएसयूआई निर्दलीय के हाथ में सत्ता
वर्ष 2014 में एनएसयूआई के अनिल चौपड़ा ने एबीवीपी के शंकर गौरा को हराया।
वर्ष 2015 में एनएयूआई के सत्तवीर चौधरी ने एबीवीपी के राजकुमार बींवाल को हराया।
वर्ष 2016 में एबीवीपी के बागी अंकित धायल ने एबीवीपी के अखिलेश पारीक को हराया।
वर्ष 2017 में एबीवीपी के बागी पवन यादव ने एबीवीपी के संजय माचेड़ी को हराया।
जीत को तरस रहे छात्र संगठन
भाजपा समर्थित छात्र संगठन एबीवीपी को गत चार साल से तो कांग्रेस समर्थित छात्र संगठन एनएसयूआई को गत दो साल से जीत का इंतजार है। दोनो ही छात्र संगठन राजस्थान विश्वविद्यालय में अध्यक्ष पद की जीत के लिए तरस गए है। एबीवीपी को गत चार साल तो एनएसयूआई गत दो साल से राजस्थान विश्वविद्यालय में छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव नहीं जीत पाया है। ऐसे में विधानसभा चुनावों से पहले ही दोनो ही संगठनों के लिए अपने बागियों को मनाकर चुनाव जीतना इस बार साख का सवाल रहेगा।

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