20-25 की उम्र के युवाओं में ब्लॉकेज की समस्या बढ़ रही है। हार्ट में फैट का स्टोरेज बचपन में मोटापे की वजह से शुरू हो जाता है। फैट शरीर के अन्य अंगों में भी स्टोर होता है। हैवी कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट ज्यादा और पोषक तत्त्वों व प्रोटीन की कमी और व्यायाम न करने से दिक्कत होती है।
स्वस्थ व्यक्ति में एलडीएल का स्तर 130 एमजी/डीएल से कम, डायबिटीज में 100 और बायपास, एंजियोप्लास्टी के मरीज का 70 से अधिक नहीं होना चाहिए। तनाव की वजह से हार्ट व धमनियों में जमा फैट नुकसान पहुंचाता है। युवाओं में इमोशनल ट्रिगर ब्लॉकेज का कारण है।
धमनियों में कोलेस्ट्रॉल के ज्यादा इकठ्ठा होने पर हाइपर टेंशन, बीपी की दिक्कत होती है। ब्लड कोलेस्ट्रॉल का एचडीएल, एलडीएल, ट्राई गिलाइड का स्तर नियंत्रित होना जरूरी है। 2. नॉन मोडिफाइबल रिस्क फैक्टर
मेनोपॉज के बाद महिलाओं में हार्ट संबंधी दिक्कत आती है। आनुवांशिक कारणों से भी दिक्कत हो सकती है। ऐसे मरीज के शरीर में ऐसे जींस होते हैं जो कॉलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं।