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कोरोना महामारी का साइड इफेक्ट: एसएमएस अस्पताल में एक माह बाद तक मरीज बनाए हुए दूरी

– चिकित्सक मरीजों में नहीं जगा पाए विश्वास- सामान्य मरीजों का रूख दूसरे अस्पतालों की तरफ, निजी अस्पतालों को मिला फायदा – कोविड फ्री अस्पताल का एक माह का रिपोर्ट कार्ड- एक माह गुजरने के बाद भी रोजमर्रा की ओपीडी सिर्फ 2000 तक ही पहुंची

जयपुरJul 05, 2020 / 11:13 am

Avinash Bakolia

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जयपुर. कोरोना महामारी ने प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल की तस्वीर बदल कर रख दी है। एसएमएस अस्पताल को कोरोना फ्री घोषित हुए एक माह बीत चुका है। इसके बावजूद अभी तक मरीजों ने अस्पताल से दूरी बना रखी है। कोरोना के डर से मरीज अस्पताल में नहीं आ रहे हैं। साथ ही अस्पताल के चिकित्सक भी मरीजों में विश्वास नहीं जगा पाए हैं। यही वजह है कि सामान्य मरीजों का रुख दूसरे अस्पतालों की तरफ हो गया है। इसका फायदा निजी अस्पतालों को हो रहा है। एसएमएस अस्पताल के हालात यह है कि हर समय मरीजों की भीड़ से घिरा रहने वाला इस अस्पताल के कई वार्ड अभी भी सूने पड़े हैं। एसएमएस अस्पताल में आमतौर पर रोजाना 8 से 10 हजार मरीजों की ओपीडी हुआ करती थी। एक जून से सवाई मानसिंह अस्पताल को कोविड फ्री घोषित किया गया। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही थी कि कोरोना मुक्त होने के बाद अस्पताल में पहले की तरह ओपीडी शुरू हो सकेगी, लेकिन एक महीना बीत जाने के बाद भी अस्पताल में महज दो से ढाई हजार की ओपीडी ही देखने को मिल रही है। यानी अस्पताल की ओपीडी एक चौथाई तक सिमट गई है।
मार्च में कोरोना की दस्तक के बाद से घटे मरीज
– जनवरी में कुल ओपीडी 241773
– फरवरी में कुल ओपीडी 256782
– मार्च में कुल ओपीडी 168397
– अप्रैल में कुल ओपीडी 32800
– मई माह में कुल ओपीडी 46402
– जून माह में कुल ओपीडी 73657
अस्पताल में भर्ती कुल मरीजों का आंकड़ा
– जनवरी माह में 18219 मरीज भर्ती
– फरवरी माह में 18148 मरीज भर्ती
– मार्च माह में 12643 मरीज भर्ती
– अप्रैल माह में 4305 मरीज भर्ती
– मई माह में 4994 मरीज भर्ती
– जून माह में 7840 मरीज भर्ती

ऑपरेशन सिमट कर एक तिहाई रह गए
कोरोना के खौफ के चलते अस्पताल में न सिर्र्फ ओपीडी और आइपीडी में भर्ती मरीजों की संख्या में कमी आई है, बल्कि रोजाना हो रहे ऑपरेशनों की संख्या भी एक तिहाई तक सिमट कर रह गई है। चिकित्सक पहले से रजिस्टर्ड मरीजों को सर्जरी के लिए सूचना दे रहे हैं, लेकिन अधिकांश मरीज तय पर समय ऑपरेशन के लिए आ ही नहीं रहे। इसके पीछे का कारण बताया जा रहा है ऑपरेशन से पहले कोरोना टेस्ट समेत अन्य प्रक्रियाएं होती हैं। इस वजह से मरीज अस्पताल नहीं आना चाहते। जानकारी के अनुसार जनवरी में जहां 13110 ऑपरेशन हुए वहीं लॉकडाउन के दौरान मार्च में ऑपरेशन घटकर 8099 हुए। अप्रैल और मई तो 4405 और जून में 5507 ऑपरेशन हुए।
ऐसे घटा ऑपेरशन का ग्राफ
जनवरी- 13110
फरवरी-13902
मार्च- 8099
अप्रैल-1802
मई -2603
जून- 5507

इनका कहना है
अस्पताल में आइपीडी और ओपीडी सुविधाएं बेहतर कर दी गई हैं। अभी लोगों में कोरोना का भय व्याप्त है। इसलिए अस्पताल में मरीज कम आ रहे हैं। हालांकि एनेस्थीसिया, मेडिसिन और माइक्रोबायोलॉजी विभाग के कई चिकित्सकों की ड्यूटी आरयूएचएस लगा रखी है।
– डॉ. राजेश शर्मा, अधीक्षक, एसएमएस अस्पताल
अस्पताल में सीनियर रेजिडेंट नहीं है। मेडिकल ऑफिसर और रेजिडेंट डॉक्टर ही नियुक्त है। अब रेजिडेंट डॉक्टर का समय भी खत्म हो गया है इसलिए डॉॅक्टर्स की जरूरत है।
– डॉ. रेखा सिंह, अधीक्षक, जयपुरिया अस्पताल
अस्पताल में डॉक्टरों की जरूरत तो है, लेकिन प्रिंसिपल आवश्यकतानुसार भेजते हैं और हटा देते हैं।
– डॉ. अजय माथुर, अधीक्षक, गणगौरी अस्पताल

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