ज्वांइट रिपलेसमेंट सर्जन एवं ऑर्थोस्कापी स्पेशलिस्ट डॉ.एस.एस.सोनी ने जोड़ों के दर्द पर हुए जन जागरुकता कार्यक्रम में बताया कि कई बार यह परेशानी बिसिपिटल टेंडेमाइटिस के कारण भी हो सकता है और इसका उपचार भी अलग तरह से होता है। ऐसे में बीमारी का सही डायग्रोस होना जरूरी है नहीं तो समस्या और बढ़ सकी है। उन्होने बताया कि बिसिपिटल टेंडेनाइटिस की समस्या के कारण किसी एक मूवमेंट पर कंधे में तेज दर्द या कंधे के जाम होने की परेशानी होने लगती है। सामान्यत, इसे फ्रोजन शोल्डर मानकर इसका इलाज शुरू कर दिया जाता है जबकि ये बाइसेप्स की मांसपेशी में सूजन के कारण होती है। इसीलिए मरीज की पूरी जांच जरूरी है।
दूरबीन सर्जरी से मिल सकता है छुटकारा -:
उन्होने बताया कि बिसिपिटल टेंडेनाइटिस यूं तो लक्षण के आधार पर पहचाना जा सकता है, लेकिन इसे और पुख्ता करने के लिए इसकी एमआरआई की जांच भी करवाई जाती है। एमआरआई जांच से बाइसेप्स के दोनों हेड्स में आई सूजन का पता लगाया जा सकता है। शुरुआती इलाज में दवाओं से ही मरीज की सूजन को ठीक करने का प्रयास किया जाता है। दूरबीन सर्जरी भी इसमें काफी कारगर है।
दो तरह से होती है सर्जरी -:
डॉ.एस.एस.सोनी ने बताया कि बिसिपिटन टेंडोइटिस के उपचार के लिए सर्जरी मरीज की उम्र के मुताबिक भी निर्भर होती है। यदि बुढ़ापे में यह समस्या हुई है तो सूजने वाली मांसपेशी को काटकर अलग कर दिया जाता है, क्योंकि इस उम्र तक कार्यों में ज्यादा जोर लगाने की आवश्यकता नहीं होती है। इस सर्जरी को टीनोटमी कहते हैं। लेकिन यदि यह सर्जरी कम उम्र के मरीज के होती है तो उनकी सूजी हुई मांसपेशी को काटकर आस-पास स्थिति हड्डी के साथ जोड़ दिया जाता है। इस प्रकिया को टीनोडेसिस कहा जाता है।