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आज से फिर खुलेगा नकद चंदा देने का विकल्प

locationजयपुरPublished: Nov 01, 2018 12:21:40 am

Submitted by:

Veejay Chaudhary

एसबीआइ बांड की छठी किस्त

jaipur

आज से फिर खुलेगा नकद चंदा देने का विकल्प

जयपुर. चुनावी बांड के जरिए देश की राजनीति में कॉरपोरेट जगत का दखल बढ़ सकता है। इसके जरिए राजनीतिक दल चुनावी चंदा लेंगे। सियासी दलों को चंदा देने के लिए इस्तेमाल होने वाले चुनावी बांड की छठी किस्त की बिक्री एक से दस नवंबर के बीच होगी। वित्त मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी। राजनीतिक पार्टियों को दिए जाने वाले चंदे में पारदर्शिता लाने के लिए केंद्र सरकार ने इस साल जनवरी में चुनावी बांड योजना को अधिसूचित किया था। इसे नकद चंदा देने के विकल्प के रूप में पेश किया गया है।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) को चुनावी बांड जारी करने और उनके बदले नकदी देने के लिए अधिकृत किया गया है। एसबीआइ एक से दस नवंबर के बीच अपनी 29 अधिकृत शाखाओं के जरिए इस बांड की बिक्री करेगा। चुनावी बांड बिक्री के लिए एसबीआइ की अधिकृत शाखाएं नई दिल्ली, गांधीनगर, चंडीगढ़, बेंगलुरु, भोपाल, मुंबई, जयपुर, लखनऊ, चेन्नई, कोलकाता और गुवाहाटी जैसे शहरों में स्थित हैं। इस बांड की छठी किस्त की
बिक्री ऐसे समय की जा रही है, जब राजस्थान और मध्य प्रदेश सहित पांच राज्यों में विधान सभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इन राज्यों में आचार संहिता भी लागू है। इस योजना के प्रावधानों के तहत कोई भी भारतीय नागरिक या भारत में स्थापित कंपनी चुनावी बांड खरीद सकती है।
ऐसे शुरू हुई बिक्री
जनवरी में अधिसूचित होने के बाद चुनावी बांड की पहली किस्त की बिक्री इस वर्ष एक से दस मार्च के बीच हुई थी। इसके बाद 2-10 अप्रेल को दूसरी, एक से दस मई के बीच तीसरी, 2 से 11 जुलाई के बीच चौथी तथा एक से दस अक्टूबर के बीच पांचवीं किस्त की बिक्री हुई थी।
क्या है चुनावी बांड

– दरअसल, चुनाव लडऩे के लिए पैसे की जरूरत होती है। जिसे आर्थिक जगत पूरा करता है।
– इसे खरीदने के लिए खरीददार को अपनी पहचान देनी पड़ेगी, लेकिन बांड पर उसका नाम नहीं लिखा होगा।
– राजनीतिक दलों को इसे अपने खातों में ही जमा कराना पड़ेगा और सालान रिटर्न में इसकी जानकारी देनी होगी।
– यह बांड 1 हजार, 10 हजार, 1 लाख, 10 लाख व 1 करोड़ रुपयों के होते हैं।
– राजनीतिक दलों को चंदा देने वाले का नाम गुप्त रहेगा।
– चुनावी बांड की पहली शर्त यह है कि केवल उसी दल को यह चंदे के रूप में मिलेगा जिन्हें पिछले चुनाव में 1 फीसदी या उससे ज्यादा मत मिले हों।
– इस तरह से छोटे दलों को कॉर्पोरेट चंदे से मरहूम भी किया जाएगा।

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