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50 सीसी की गाड़ियां कंपनियों ने बरसों पहले बनाना किया बंद, आरटीओ फिर भी दे रहा है लाइसेंस

locationजयपुरPublished: Aug 24, 2019 09:47:52 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

सड़क सुरक्षा को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। हादसों में 50 फीसदी कमी को लेकर तमाम तरह के जतन किए जा रहे हैं। लेकिन केन्द्र सरकार के मोटर यान नियम ऐसे अजीब हैं कि जानकार भी किशोरों को लाइसेंस जारी कराने से नहीं रोका जा रहा।

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जयपुर। सड़क सुरक्षा को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। हादसों में 50 फीसदी कमी को लेकर तमाम तरह के जतन किए जा रहे हैं। लेकिन केन्द्र सरकार के मोटर यान नियम ऐसे अजीब हैं कि जानकार भी किशोरों को लाइसेंस जारी कराने से नहीं रोका जा रहा।
16 से 18 वर्ष के किशोर डेढ़ दशक पहले बनने वाली 50 सीसी क्षमता के वाहनों की आड़ में लाइसेंस लेकर 100 सीसी क्षमता से ज्यादा के वाहन सड़कों पर सरपट दौड़ा रहे हैं। यह जानकारी पुलिस व परिवहन विभाग के अलावा माता-पिता को भी है। लेकिन किशोरों को हादसे का शिकार होने से रोकने की चिंता किसी को नहीं है। यह एक बड़ा अपराध है।
माता-पिता बच्चों को कोचिंग जाने व आसपास के छोटे काम के लिए इस लाइसेंस की आड़ में 100 सीसी क्षमता की गाड़ी थमा रहे हैं, जो हाइस्पीड़ में दौड़ती है।

खास बात यह है कि 50 सीसी क्षमता की गाड़ी तो सड़क पर नजर नहीं आ रही। लेकिन कुछ पुरानी गाडिय़ां लाइसेंस जारी कराने को लेकर ट्रायल के लिए आरटीओ कार्यालय के बाहर जरूर देखी जा सकती हैं। इतना ही नहीं ऐसी भी लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि 50 सीसी क्षमता के वाहन का लाइसेंस जारी करने के लिए 100 सीसी क्षमता के वाहन से ट्रायल लिया जा रहा है।
औसतन रोजाना 10 फीसदी से ज्यादा जारी हो रहे लाइसेंस
परिवहन विभाग के सूत्रों के मुताबिक राज्य में औसतन रोजाना जारी होने वाले लाइसेंस में 10 फीसदी से ज्यादा लाइसेंस 16 से 18 साल की उम्र के उन किशोरों के होते हैं, जो 50 सीसी क्षमता के वाहन के लिए होता है। ऐसे किशोरों के ट्रायल अधिक क्षमता की गाड़ी से लिए जाने की शिकायतें भी परिवहन मुख्यालय काफी समय से लगातार पहुंच रही थी।
परिवहन आयुक्त ने अब ली सुध
तीन दिन पहले परिवहन विभाग ने इस पर फोकस किया है। परिवहन आयुक्त की ओर से जारी आदेश में ही स्वीकार किया गया है कि 50 सीसी क्षमता की गाडिय़ां देश में दो कंपनियां बनाती थी। लेकिन सालों पहले ही यह कंपनियां 50 सीसी क्षमता की गाडिय़ां बनाना बंद कर चुकी हैं। ऐसे में अब लाइसेंस जारी करने के दौरान 50 सीसी क्षमता की गाड़ी से ही ट्रायल लिया जाए। खास बात यह है कि इस गाड़ी का रजिस्टे्रशन नंबर भी अब रिकॉर्ड पर इन्द्राज करना जरूरी किया गया है। यह भी पाबंदी लगाई गई है कि एक गाड़ी का नंबर रिकॉर्ड में बार-बार दर्ज नहीं किया जा सकता।
दोषी कौन, माता-पिता या परिवहन और पुलिस
सबकुछ जातने हुए भी वह गलती की जा रही है, जो किशोर की जान को पल-पल खतरे में डाल रही है। आखिर इस गलती के लिए किशोर के माता-पिता या फिर परिवहन विभाग के अधिकारी और स्वयं सरकार है।

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