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80 फीसदी लिवर डैमेज होने के बाद पता चलती है लिवर की बीमारी

locationजयपुरPublished: Aug 23, 2018 12:30:19 pm

Submitted by:

Vikas Jain

– हर साल दो लाख से ज्यादा लोग लिवर की बीमारियों से दम तोड़ रहे हैं
 

jaipur

80 फीसदी लिवर डैमेज होने के बाद पता चलती है लिवर की बीमारी

जयपुर। आजकल जंक फूड, शराब सेवन और बिगड़ती लाइफ स्टाइल की वजह से लिवर से जुड़ी बीमारी की समस्या काफी सामने आ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत में बीमारियों से मृत्यु का 10वां सबसे सामान्य कारण लिवर की बीमारी है। आंकड़ों के अनुसार हर साल दो लाख से ज्यादा लोग लिवर की बीमारियों से दम तोड़ देते हैं। लिवर की बीमारियों के आम कारणों में हेपेटाइटिस बी व सी हैं। वहीं आज के समय में अत्यधिक शराब पीना तथा नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर बीमारी प्रमुख कारण बनते जा रहे है। नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर बीमारी लाइफ स्टाइल से जुड़ा विकार है। खासतौर पर मोटापा और डायबिटीज इसकी सबसे बड़ी वजह है। परेशान करने वाली बात यह है कि लिवर की बीमारियों के लक्षण दिखाई नहीं देते और 80 प्रतिशत लिवर डैमेज होने के बाद इसका पता चलता है।
गेस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट व लिवर रोग स्पेशलिस्ट के अनुसार प्रारंभिक अवस्था में ध्यान नहीं दिया जाए तो लिवर की बीमारी, लिवर को स्थायी रूप से डैमेज या लिवर फैलियर की स्थिति ला सकती है, जो जानलेवा साबित हो सकता है। नियमित रूप से शराब का सेवन लिवर की बीमारी की अहम वजह है। वहीं नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर (एनएएफएलडी) अन्य प्रमुख कारण है, जिसकी असल वजह मोटापा (पेट के चारों ओर की चर्बी)और डायबिटीज मानी जाती है।
स्थायी रूप से हो सकता है लिवर डैमेज –

नियमित रूप से शराब पीना लिवर के लिए सबसे खतरनाक है। इससे स्थायी रूप से लिवर डैमेज हो सकता है
और अंत में लिवर फेलीयर का कारण बन जाता है। अल्कोहॉलिक लिवर की तीन स्टेज होती हैं। पहली अल्कोहॉलिक फैटी लिवर, इसमें किसी तरह के लक्षण सामने नहीं आते, दूसरी स्टेज अल्कोहॉलिक हेपेटाइटिस है, जिसमें अत्यधिक शराब पीने से लिवर में सूजन आ जाती है, इसमें प्रारंभिक स्थिति में शराब बंद कर दी जाए तो कुछ राहत मिल सकती है, मगर शराब पीना बंद नहीं किया तो लिवर स्थायी रूप से डैमेज और जानलेवा स्थिति हो जाती है। तीसरी स्टेज में अल्कोहॉलिक सिरोसिस हो जाता है, यह सबसे गंभीर स्थिति होती है और एक बार हो गया तो ठीक नहीं हो पाता। अंत में लिवर ट्रांसप्लांट ही रास्ता रह जाता है।
मोटापे और डायबिटीज रोगियों में खतरा ज्यादा –

नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर बीमारी, मोटापे और डायबिटीज के रोगियों से जुड़ी हुई है। लिवर में फेट जमा होने से यह रोग होता है। नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर की बीमारी का प्रभाव सामान्य आबादी में 15 से 20 फीसदी पाया गया है, वहीं टाइप-2 डायबिटीज रोगियों में इसका प्रसार 50 से 75 प्रतिशत तक देखा गया है। इसलिए नियमित जांच कराते रहें।
कैसे कर सकते हैं बचाव :

– लंबे समय से नियमित रूप से शराब पी रहे हैं तो सावधान हो जाएं, यह आदत आपके लिवर को डेमेज कर सकती है। नियमित शराब पीना तुरंत बंद करें और लिवर की जरूरी जांच कराएं।
– नॉन अल्कोहॉलिक फैटी लिवर रोग से बचने के लिए पौष्टिक भोजन लें, फल, सब्जियां, साबुत अनाज आदि का सेवन करें। मोटापा नियंत्रित रखें, रोज व्यायाम करें, कम कैलोरी की वस्तु सेवन करें।
– परिवार में किसी को डायबिटीज या अन्य मेटाबॉलिक रोग है तो लिवर की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए जांच जरूर कराएं।
– लिवर की बीमारी से बचने के लिए नियमित और कुछ अंतराल में खून की सामान्य जांच एसजीपीटी-एसजीओटी कराएं, सोनोग्राफी एवं फाइब्रो स्केन आदि जांच कराएं। फाइब्रो स्केन अत्याधुनिक जांच है, जिससे लिवर कितना और किस स्टेज तक क्षतिग्रस्त हुआ है पता चल जाता है। लिवर डिजीज से बचाव के लिए वैक्सीन लगवाना भी लाभप्रद होता है।
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