अफसर कर रहे मार्केटिंग
घी के स्टॉक को खपाने के लिए जयपुर में आरसीडीएफ के करीब 40 अधिकारी इन दिनों हॉस्पिटल्स, हॉस्टल, होटल्स, मिठाई की बड़ी दुकानों के साथ ही घी के बड़े खरीददारों के साथ चक्कर लगाकर घी का स्टॉक निकालने में लगे हुए हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव खेमराज चौधरी खुद इस पूरे मामले की रोज मॉनिटरिंग कर रहे हैं।
जनवरी में किया था आगाह
आरसीडीएफ में कई सालों की सेवा के बाद रिटायर हुए हीरालाल शर्मा को आरसीडीएफ ने सलाहकार मार्केंटिंक नियुक्त किया था। शर्मा ने जनवरी में ही पत्र लिखकर डेयरियों में रोज बढ़ रहे घी और मिल्क पाउडरों के स्टॉक के बारे में आगाह करते हुए मार्केटिंग पॉलिसी को रिव्यू करने के साथ ही कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए थे। इन सुझावों में बाजार के हिसाब से हर सप्ताह घी की कीमतों का रिव्यू करने, नए डिस्ट्रीब्यूटर्स बनाने के साथ ही अन्य कई सुझाव दिए गए थे। इस साल मई तक आरसीडीएफ के पास 23 से साढे 23 हजार मीट्रिक टन मिल्क पाउडर और 17 से साढे 17 हजार मीट्रिक टन तक घी का स्टॉक होने का अनुमान भी लगाया गया था।
फाइनेंस अधिकारी ने नहीं मानी बात
सूूत्रों का कहना है कि इसके साथ ही घी के बड़े पैक पर प्रति लीटर 40 रुपए और कंज्यूमर पैक पर प्रति लीटर 20 रुपए कम का निर्णय जीएम कमेटी ने लिया था। कमेटी के सात मेंबर दाम घटाने के सुझाव से सहमत थे जबकि वित्तीय सलाहकार इससे सहमत नहीं थे। ऐसे में घी के दाम उस समय नहीं घटाए गए। हालांकि बाद में घी की शेल्फ लाइफ पूरी होने के डर से आरसीडीएफ ने घी को खपाने के लिए पिछले दिनों ही ओपन ट्रेड पॉलिसी जारी की है।