हाल ही में आए एक सर्वे से पता चला कि पिछले नौ साल में बेस रेट में तो लगातार बदलाव हो रहे हैं लेकिन बैंक उसका फायदा ग्राहकों को नहीं देते। 2019 में रिजर्व बैंक ने करीब 1.10 फीसदी की दर में कमी की, लेकिन बैंकों ने अपनी दरों में कटौती नहीं की। वहीं बैंकों का इसके पीछे तर्क है कि पिछले एक दशक से बैंक घरेलू बचत दर में कमी, बैड लोन आदि की समस्या से जूझ रहे हैं, जिसके चलते रेपो रेट में कमी के अनुपात में होमलोन दरों में कमी करना मुश्किल है। दूसरी ओर जमा आकर्षित करने के लिए बैंकों ने कर्ज दरों में कटौती की बजाय जमा धन पर ब्याज बढ़ाया है, जिससे फंड एकत्र किया जा सके।
आरबीआइ की कार्रवाई और बैंकों द्वारा उसका फायदा ग्राहकों तक न पहुंचने की वजह से घरेलू बचत में कमी आ रही है। बैंक रेट न घटाने के अपने फैसले का बचाव कर रहे हैं और ये भी मानते हैं कि ब्याज दरों में बदलाव अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद होगी।
कितनी कटौती
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बुधवार को एक बार फिर से अपनी मौद्रिक समीक्षा बैठक में प्रमुख ब्याज दर (रेपो रेट) में 35 आधार अंकों की कटौती की है। बैंक ने प्रमुख नीतिगत दरों में चौथी बार कटौती की घोषणा की है। इसके साथ ही रेपो रेट घटकर 5.40 हो गई है।
बैंक अगर ब्याज दरें घटाते हैं, तो इतनी कम होगी ईएमआइ
अब जब आरबीआई ने ब्याज दरें घटा दी हैं तो माना जा रहा है कि बैंक भी लोगों तक इसका फायदा पहुंचाने के लिए अपनी दरों में कटौती करेंगे। यहां हम बता रहे हैं कि कैसे आपकी ईएमआइ में बदलाव हो सकता है।
लोन की रकम : 3000000 रुपए
अवधि : 20 साल
मौजूदा ब्याज दरें : 8.50 प्रतिशत
मौजूदा ईएमआई : 26,035 रुपए
नई ब्याज दर : 8.15 प्रतिशत
नई ईएमआइ : 25,373 रुपए
ईएमआई में कमी : 662 रुपए