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VIDEO: राजस्थान रोडवेज मना रही ‘बर्थडे’, इधर हड़ताली कर्मचारी CM राजे को भेजेंगें भीख से जुटाई रकम

locationजयपुरPublished: Oct 01, 2018 10:17:07 am

Submitted by:

Nakul Devarshi

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vasundhara raje
जयपुर।

राजस्थान में रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल को दो सप्ताह से ज़्यादा हो रहे हैं लेकिन अब तक हड़ताल टूटने के कोई आसार दिखाई नहीं दे रहे हैं। कर्मचारी संगठन अलग-अलग तरह से विरोध प्रदर्शनों के ज़रिये सरकार का ध्यान खींचने और मांगे मनवाने की जद्दोजहद करने में जुटे हैं लेकिन इसका ज़रा भी असर सरकार पर दिखाई नहीं दे रहा है। इस बीच सोमवार को राजस्थान रोडवेज अपना स्थापना दिवस भी मनाया जा रहा है।
भीख मांगकर जताया विरोध
रोडवेज स्थापना दिवस से एक दिन पहले यानी रविवार को कर्मचारियों ने भीख मांगकर सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। कर्मचारियों ने भीख मांगकर तीन हजार तीन सौ चौसठ रुपए एकत्र किए। कर्मचारियों के मुताबिक़ अब भीख से जुटाई गई रकम को मुख्यमंत्री तक पहुंचाया जाएगा। इस राशि को मुख्यमंत्री सहायता कोष में जमा करवाने के लिए भेजा जा रहा है। इसी के साथ रविवार को कर्मियों ने सिंधी कैंप के बाहर ढोल-मंजीरा बजाते हुए रैली भी निकाली।
रोडवेज का ‘जन्मदिन’ आज
इधर सोमवार को रोडवेज 55 साल की हो गई है। खास बात है कि पिछले 54 सालों में पहली बार ऐसा मौका आया है कि जब हड़ताल के दौरान रोडवेज का स्थापना दिवस आया हो। ऐसे में प्रदेशभर में बंद पड़ी रोडवेज के बीच ही स्थापना दिवस के कार्यक्रम होंगे। हालांकि प्रबंधन की ओर से कभी कोई कार्यक्रम की घोषणा नहीं की गई है। लेकिन कर्मचारी अपने ही स्तर पर सिंधी कैंप पर आयोजन करेंगे।
लुट रही आम जनता, सरकार बेपरवाह
राजस्थान में यातायात की धड़कन बानी हुई रोड़वेज की बसें के पहिये कर्मचारियों की विभिन्न मांगो को लेकर पिछले दो सप्ताह से थमे हुए हैं। लेकिन लोगों की परेशानियों को सरकार की तरफ से जैसे नजरअंदाज किया जा रहा है। लिहाज़ा कर्मचारी हड़ताल के चलते आमजन चाक के दो पाटों के बीच फंसा हुआ नजर आ रहा है।
रोड़वेज बसें बन्द होने के बाद ग्रामीण क्षेत्रो में लोग खासे निराश है। शहरों की तरफ मजदूरी को जाने वाले लोगों के हाल तो बहुत ज्यादा खराब हैं। लोग यातायात के साधनों के अभाव में बेरोजगार हो गए हैं। दैनिक मजदूरी वर्ग का तो परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का जुगााड़ करना भी मुश्किल हो गया है।
चांदी कूट रहे निजी बस संचालक
रोड़वेज की हड़ताल के बाद तो मानो निजी बस संचालकों की लॉटरी निकल गई है। वे जैसे इस वक्त में चांदी कूट रहे हैं। लोगों को अपने गन्तव्य पर पहुंचने के लिए चार गुना तक रुपये खर्च करके भी ओवरलोड़ वाहनो में सफर करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। वहीं मनमाने रुपये लेने के बाद भी कई वाहन चालक तो लम्बी दूरी की सवारियों को ही पहले सीट देते है जबकि वाहन में कम दूरी की सवारियां हो तो उन्हें उतार तक दिया जाता है।
कुल मिलाकर सरकार न तो जनता की समस्या के समाधान का प्रयास करती नजर आ रही है और ना ही रोड़वेज कर्मचारियों की। बल्की सरकार और कर्मचारी वर्ग के बीच आमजन अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है।

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