निचले स्तर पर माइक्रोप्लान बनाने का किया था निर्णय दरअसल, प्रदेश में इन बीमारियों के लगातार प्रकोप दिखाने के बाद इस बार साल की शुरूआत में ही विभाग ने निचले स्तर पर माइक्रोप्लान बनाने का निर्णय किया था। जिसके तहत एंटीलार्वा गतिविधियां, घर घर सर्वे, स्वास्थ्य शिक्षा, आईईसी गतिविधियां, नियमित रिपोर्टिंग व अन्य काम शामिल थे। लेकिन जिलों से ना तो इनकी सही तरीके से मॉनिटरिंग हुई और ना ही निचले स्तर पर भी अधिक ध्यान दिया गया।
– अब तक जिलों, ब्लॉक में नहीं बने माइक्रोप्लान – हर बार कहर बरपा रही मौसमी बीमारियां, फिर भी बरत रहे लापरवाही – स्वास्थ्य निदेशालय ने सभी सीएमएचओ को दी चेतावनी बारिश थमते ही बढ़ेगा मच्छरों का प्रकोप
प्रदेश में बारिश थमते ही मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। मच्छर जनित मौसमी बीमारियों डेंगू, मलेरिया के मच्छरों को पनपने में सबसे उपयुक्त मौसम बारिश ठहरने के बाद अगस्त-सितंबर माह से शुरू होता है। इससे पहले चिकित्सा विभाग मच्छर पनपने के स्थानों पर एंटिलार्वा गतिविधियों सहित जागरूकता के कार्यक्रम भी करता है। लेकिन मच्छरों का मौसम आने में अब करीब एक से दो महीने शेष हैं, लेकिन अभी तक जिलों में माइक्रोप्लान ही नहीं बन पाए हैं।
गौरतलब है कि कभी स्वाइन फ्लू, कभी जीका वायरस और कभी डेंगू के रूप में मौसमी बीमारियां कहर बरपाती है इसके बावजूद जिम्मेदार सजग नहीं हो रहे हैं।