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राजस्थान का रण: आधी आबादी की जीत दोगुनी

locationजयपुरPublished: Sep 22, 2018 09:33:48 am

Submitted by:

Mridula Sharma

राज्य में पिछले 6 में से 5 विधानसभा चुनावों में पुरुष उम्मीदवारों पर भारी रहीं महिला उम्मीदवार

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राजस्थान का रण: आधी आबादी की जीत दोगुनी

जयपुर. जेहन में दो दृश्य याद आते हैं। पहला, तारीख थी 2018 की 4 मई। कर्नाटक चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नमो ऐप के जरिए राज्य की महिला कार्यकर्ताओं से रूबरू होते हुए कहते हैं, ‘वूमन फस्र्टÓ। लेकिन 224 सदस्य वाली विधानसभा के लिए भाजपा ने महिला उम्मीदवार उतारे कुल 6 ही। दूसरा दृश्य, तारीख थी 2012 की 27 दिसम्बर। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लैंगिक समानता पर संबोधन में कहा, ‘हमारे समाज का रुख महिलाओं के प्रति पक्षपाती रहा हैÓ। और यह सही साबित हुआ, जब 2014 के लोकसभा चुनाव में 464 सीटें लडऩे वाली कांग्रेस में महिला उम्मीदवार थीं कुल 60 ही। वही कांग्रेस, जो महिलाओं को संसद में एक तिहाई आरक्षण देने का विधेयक लाई थी और इसकी अध्यक्ष खुद महिला थीं।

5 बार पछाड़ा
ये दो उदाहरण हैं, जिनसे महिला प्रतिनिधित्त्व के सियासी दावे और हकीकत की पोल खुल जाती है। दरअसल, 1990 से 2013 तक 6 विस चुनावों में पुरुष और महिला उम्मीदवारों के जीत प्रतिशत पर गौर करें तो महिलाओं ने 5 बार पुरुषों को पछाड़ा है। केवल वर्ष 2003 में महिलाएं पुरुषों से इस पैमाने पर पीछे रहीं। हालांकि इसी चुनाव में वसुंधरा राजे के रूप में प्रदेश की मुखिया पहली बार महिला बनी थीं। दिलचस्प बात यह है कि राजस्थान में राज्यपाल, सीएम व विधानसभा स्पीकर, तीनों प्रमुख पदों का महिलाएं प्रतिनिधित्त्व कर चुकी हैं।
बदल सकती हैं सूरत
वर्ष 2008 में महिला उम्मीदवारों की जीत दोगुने से भी ज्यादा रही। यह संभवत पहला मौका था, जब सर्वाधिक 28 महिलाएं चुनकर आईं। वर्ष 1990 व 2013 में भी जीत दोगुने के आसपास रही। यानी मौका मिले तो महिलाएं मौजूदा सूरत बदल सकती है।
वर्ष पुरुष विजयी जीत (%) महिला विजयी जीत (%)
1990 2995 189 6.31 93 11 11.82
1993 2349 190 8.08 96 09 09.30
1998 1367 186 13.60 69 14 20.28
2003 1423 188 13.21 118 12 10.16
2008 2040 172 08.43 154 28 18.18
2013 1930 172 08.91 166 28 16.86
मजबूर नहीं, मजबूत बनें
प्राय: एक दल महिला को टिकट दे तब ही सामने वाले दल महिला उम्मीदवार उतारते हैं। प्रभावी पुरुष उम्मीदवारों के सामने महिलाओं को कम ही उतारा जाता है। हालांकि राज्य में चुनाव परिणामों के आंकड़े संकेत देते हैं कि महिलाओं में जीत की संभावनाएं कम नहीं हैं।
इनका कहना है
महिलाओं को पर्याप्त मौके नहीं मिलते। जबकि मौका मिला तो महिलाओं ने राजनीति में प्रतिभा साबित की है। इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री रहीं। 1957 में जवाहरलाल नेहरू ने महिलाओं को 15 फीसदी टिकट का प्रावधान रखा जो बड़ा कदम था। महिलाओं की उम्मीदवारी बढ़ा दें तो सदनों में आरक्षण की जरूरत ही न पड़े।
सुमित्रा सिंह, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष, राजस्थान

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