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किसानों की आत्महत्या पर हाईकोर्ट गंभीर, केन्द्र व राज्य सरकार को दिए निर्देश

locationजयपुरPublished: Jul 13, 2019 10:42:19 am

किसानों के आत्महत्या करने के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरकार को निर्देश दिया कि किसानों को राहत दिलाने के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्रालय व राज्य के कृषि विभाग के अधिकारी मिलकर विचार करें।

Rajasthan High Court

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जयपुर। लागत नहीं मिलने और कर्ज के कारण किसानों के आत्महत्या करने के मामले को हाईकोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने केन्द्र व राज्य सरकार को निर्देश दिया कि किसानों को राहत दिलाने के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्रालय व राज्य के कृषि विभाग के अधिकारी मिलकर विचार करें। दोनों सरकारों से 11 सितम्बर तक किसानों के मामले पर पक्ष पेश करने को कहा है, वहीं अधिवक्ता प्रदीप चौधरी को न्यायमित्र नियुक्त किया है। न्यायाधीश मोहम्मद रफीक व न्यायाधीश एन एस ढड्ढा की खण्डपीठ ने अधिवक्ता व किसान नेता रामपाल जाट की जनहित याचिका पर यह आदेश दिया। प्रार्थी रामपाल जाट ने इस मामले में स्वयं पैरवी की।
Rajasthan High Court Serious On Farmers Suicide In State
उन्होंने कहा कि कृषि उपज के घोषित मूल्य की प्राप्ति की गारंटी सुनिश्चित हो। किसानों को उपज की लागत नहीं मिल रही है, जिसके कारण किसानों को आत्महत्या करनी पड़ रही है। कृषि लागत एवं मूल्य आयोग की अनुशंषा पर सरकार समर्थन मूल्य की घोषणा करती है, लेकिन लागत में लाभ जोडऩे का प्रावधान ही नहीं है। समर्थन मूल्य पर खरीद से 94 प्रतिशत किसान वंचित रहते हैं। भण्डारण की सुविधा व क्षमता के अभाव में किसान कम दाम पर उपज बेचने को विवश हैं। राज्य के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाए। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का कानून बनाया जाए। कृषि विशेषज्ञों की समिति बनाई जाए। गेहूं, जौ, मटर, चना व सरसों का बाजार मूल्य कम रहने तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद जारी रखी जाए। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद किए जाने पर भुगतान में हो तो उसके लिए ब्याज दिया जाए। किसान के आत्महत्या करने पर रेकॉर्ड पर उसका उल्लेख किया जाए।
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महाधिवक्ता एम एस सिंघवी ने राज्य सरकार की ओर से कहा कि आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत उपज का खरीद मूल्य तय कर दिया जाए। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी गई उपज के भुगतान के लिए 30 दिन की समयावधि तय है, उसे भी कम किया जाए। केन्द्र सरकार सुझावों का परीक्षण कर निर्णय करे। अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल व वरिष्ठ अधिवक्ता राजदीपक रस्तोगी ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के लिए केन्द्र सरकार ने अलग से आयोग बना दिया है, लेकिन केन्द्र और राज्य सरकार दोनों के अधिकारी साथ बैठें तो ही किसानों की समस्या का समाधान हो सकता है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि याचिका में जो मुद्दे उठाए गए हैं, उन पर विचार किया जाए। इसके अलावा महाधिवक्ता सिंघवी ने जो सुझाव दिए हैं, उन पर विशेषज्ञ विचार करें। केन्द्रीय कृषि मंत्रालय व राज्य के कृषि विभाग के विशेषज्ञ किसानों से संबंधित इस मामले को देखें और केन्द्र व राज्य सरकार दोनों इस मामले पर अपना पक्ष कोर्ट में पेश करें।

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