शहर के के विभिन्न इलाकों में कारखानों, दुकानों-होटलों आदि से छुड़वाए गए बाल श्रमिकों को सोमवार को उनके घर भेजा ( Homecoming of child labourer ) गया । रेलवे स्टेशन से बीकानेर-गुवहाटी एक्सप्रेस से बच्चों को जयपुर की टीम के साथ भेजा गया गया है।
बच्चों को रोजाना नहाने भी नहीं दिया जाता इस दौरान मौजूद बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष नरेन्द्र सिखवाल ने बताया कि भेजे गए बच्चों में सभी 8 वर्ष से 14 वर्ष तक के है। इन बच्चों 18 घंटे तक एक कमरे में बंद करके चूड़ी बनाने का काम करवाया जाता था। दिन में केवल एक समय का भोजन दिया जाता था। इतना ही नहीं कई बार तो रोजाना बच्चे नहाने भी नहीं देते थे।
काम में थोड़ी भी चूक पर पिटाई की जाती घर जाने की जिद या काम में थोड़ी भी चूक पर पिटाई की जाती थी। 58 बच्चों को ऐसी ही स्थिति से आजाद करवाया गया है। वहीं निराश्रित मिले 22 बच्चे भी वे है जो कारखानों में मालिक की पिटाई के कारण से भाग गए। कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जो कि बिहार से काम करने के लिए लाए गए, मगर रेलवे स्टेशन पर ही चाइल्ड लाइन को मिल गए।
पुनर्वास के लिए डिजिटल रिकार्ड घर वापसी के समय सभी बच्चों का रिकार्ड व दस्तावेज डिजीटल रुप में तैयार किया गया है। यह रिकार्ड बिहार सरकार के समाज कल्याण विभाग के निदेशक को सुर्पुद किया जाएगा। ताकि सरकार की योजनाओं का लाभ बालश्रमिकों को मिल सके और मॉनिटरिंग भी हो सके।