दरअसल, राज्य में पांच कृषि विश्वविद्यालय हैं। इनमें से जयपुर के जोबनेर, जोधपुर और कोटा के कृषि विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्ति के लिए योग्यता के नियम एक जैसे हैं तो वहीं उदयपुर और बीकानेर कृषि विश्वविद्यालयों में नियम अलग हैं। इनमें से किसी भी यूनिवर्सिटी में कुलपति पद पर नियुक्ति के लिए आवेदक के पास कम से कम 10 साल तक प्रोफेसर पद पर काम करने का अनुभव होने का नियम नहीं है। जबकि यूजीसी ने 2013 में सभी विश्वविद्यालयों में कुलपति पद के लिए कम से कम 10 वर्ष तक प्रोफेसर पद के पद अनुभव या इसके समकक्ष की योग्यता होने के नए प्रावधान को लागू किया था।भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने भी जुलाई 2013 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के इसी नियम को राज्यों के सभी कृषि विश्वविद्यालयों को पालना के निर्देश प्रदान कर दिए थे।
सरकार ने नए नियमों को दी मंजूरी
राज्य सरकार ने केबिनेट सर्कूलेशन के जरिए हाल ही में 15 जुलाई को विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्ति के नियमों में बदलाव किया है। इसके मुताबिक कुलपति को हटाने का अधिकार अब राज्य सरकार के पास होगा। कुलपति के लिए 10 वर्ष का प्रोफेसर पद का अनुभव जरूरी किया गया है। फिलहाल राजस्थान विश्वविद्यालय, कृषि व तकनीकी विश्वविद्यालय में नियम संशोधन को मंजूरी मिली है। राज्य सरकार ने यूजीसी के 2013 के नियमों के अनुरूप यह बदलाव किया है।
नए नियमों से ही पूरी हो नियुक्ति
इस पूरे मामले में यह मांग उठाई जा रही है कि केबिनेट ने सर्कूलेशन के जरिए कुलपति नियुक्ति के नियमों में बदलाव कर दिया है। लेकिन नियमों में संसोधन के बावजूद कृषि विश्वविद्यालयो में कुलपति चयन प्रक्रिया प्रगति पर है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक महाराणा प्रताप कृषि विश्वविद्यालय उदयपुर के लिए कुलपति चयन कमेटी ने 23 जुलाई और जोधपुर कृषि विश्वविद्यालय के लिए 21 जुलाई को मीटिंग बुलाई गई है। अखिल राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय पेंशनर्स कल्याण मंच के अध्यक्ष डॉ हरेन्द्र चीमा और सचिव डॉ श्रवण लाल शर्मा ने सरकार से मांग की है कि कुलपति चयन की प्रक्रिया को रोका जाए और नए नियमों के मुताबिक ही नियुक्ति की प्रक्रिया अपनाई जाए।