पायलट चाहते हैं युवाओं और नए चेहरों को मैदान में उतारा जाए। जबकि गहलोत का जोर है कि वरिष्ठ नेताओं और अनुभवियों को तवज्जो मिले। इन शेष सीटों पर ज्यादातर ऐसे नेताओं के नाम हैं, जो एक-दूसरे के कट्टर समर्थक हैं। कुछ ऐसे नेताओं के टिकटों पर भी मंथन चल रहा है, जिन्हें टिकट मिलना लगभग तय है लेकिन उनके व्यवहार-कार्यशैली सहित अन्य समीकरण आड़े आ रहे हैं।
वरिष्ठ नेताओं पर नजर डालें तो पहली सूची में विश्वेन्द्र सिंह को टिकट देने का ऐलान नहीं किया गया है जबकि उनका टिकट पहली सूची में ही पक्का माना जा रहा था। उन्हें हाल ही स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक में दिल्ली तलब भी किया गया था।
चर्चा थी कि वह अपनी सीट बदलना चाहते थे। हालांकि उनका नाम दूसरी लिस्ट में आने की उम्मीद जताई जा रही है। इसी तरह वरिष्ठ विधायक प्रद्युम्न सिंह का टिकट रुकने पर आश्चर्य जताया जा रहा है। वह अपने पुत्र के लिए पैरवी कर रहे हैं लेकिन पार्टी ने टिकट अभी तय नहीं किया है। हालांकि नारायण सिंह की मांग पर उनका टिकट काटकर बेटे को दे दिया गया है।
कांग्रेस में कुछ ऐसे नेताओं के टिकट भी अटके हुए हैं, जो किसी एक बड़े नेता की बजाय विभिन्न नेताओं के समक्ष हाजिरी लगाते रहे हैं। दिल्ली के नेताओं से भी अपने संपर्क मजबूत बताते रहे हैं। ऐसे में दिल्ली में टिकट की भागदौड़ में वे कम ही नजर आए।
टिकट के लिए दिल्ली में काट रहे चक्कर
इसी तरह पूर्व मंत्री बृजकिशोर शर्मा कई दिन से दिल्ली में चक्कर काट रहे हैं लेकिन फिलहाल टिकट नहीं मिला हैं। दिग्गज ब्राह्मण नेता नवलकिशोर शर्मा के पुत्र के नाते माना जा रहा है कि उन्हें फिर मौका मिलेगा। यहां कई दिग्गज ताल ठोक रहे हैं। दो बार मंत्री रह चुकीं बीना काक के हाथ भी अभी खाली हैं। पहले सामने आया था कि वह जयपुर से टिकट मांग रही हैं लेकिन उन्हें अभी न जयपुर से टिकट मिला, न पुरानी सीट से। हालांकि उनकी सीट पर अभी किसी को टिकट मिला नहीं है। फुलेरा से हरिसिंह व उनके पुत्र के टिकट को लेकर भी बवाल मचा हुआ है।