यह टिकट भी तब कटा, जब रविवार को ही जयपुर का 291 वां स्थापना दिवस था, जिसकी नींव पूर्व महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 18 नवम्बर 1727 को रखी थी। ग्वालियर के पूर्व राजघराने और जयपुर के पूर्व राजघराने के बीच कभी घनिष्ठ संबंध रहे हैं।
गायत्री देवी की बॉयोग्राफी में लिखा है
दीया की दादी गायत्री देवी 3 बार सांसद रह चुकी हैं। पहली बार वर्ष 1962, फिर 1967, 1971 में संसद में पहुंचीं। बेटे जयसिंह व पृथ्वीसिंह भी जनप्रतिनिधि बने। इसका जिक्र गायत्री देवी ने अपनी बॉयोग्राफी में किया है। उन्होंने लिखा, आज मैं संसद में पहुंची हूं और दोनों बेटे भी पहुंचे। आज मुझे ऐसा लगा रहा है कि सारा परिवार संसद में है। राजनीति में इस स्तर तक वर्चस्व होने के बावजूद दीया टिकट नहीं ला पाईं।
दीया की दादी गायत्री देवी 3 बार सांसद रह चुकी हैं। पहली बार वर्ष 1962, फिर 1967, 1971 में संसद में पहुंचीं। बेटे जयसिंह व पृथ्वीसिंह भी जनप्रतिनिधि बने। इसका जिक्र गायत्री देवी ने अपनी बॉयोग्राफी में किया है। उन्होंने लिखा, आज मैं संसद में पहुंची हूं और दोनों बेटे भी पहुंचे। आज मुझे ऐसा लगा रहा है कि सारा परिवार संसद में है। राजनीति में इस स्तर तक वर्चस्व होने के बावजूद दीया टिकट नहीं ला पाईं।
यह दिया है तर्क
विधायक दीया ने घरेलू व्यस्तताओं का हवाला देते हुए चुनाव नहीं लडऩे की इच्छा जताई थी। साफ कहा था कि सवाईमाधोपुर से टिकट नहीं मिला तो दूसरी जगह से नहीं लडूंगी। चर्चा थी कि सवाईमाधोपुर से टिकट कटने की आशंका उन्हें पहले ही हो गई थी। इसी कारण उनका नाम जयपुर के विद्याधरनगर से चर्चा में भी आया।
विधायक दीया ने घरेलू व्यस्तताओं का हवाला देते हुए चुनाव नहीं लडऩे की इच्छा जताई थी। साफ कहा था कि सवाईमाधोपुर से टिकट नहीं मिला तो दूसरी जगह से नहीं लडूंगी। चर्चा थी कि सवाईमाधोपुर से टिकट कटने की आशंका उन्हें पहले ही हो गई थी। इसी कारण उनका नाम जयपुर के विद्याधरनगर से चर्चा में भी आया।
बगावत के आसार
दीया के पति नरेंद्रसिंह के बागी होने के भी आसार बनते रहे। चर्चा रही कि नरेन्द्र निर्दलीय लड़ सकते हैं। इस बीच टिकट कटने के विरोध में सवाईमाधोपुर में कई बाजार बंद रहे।
दीया के पति नरेंद्रसिंह के बागी होने के भी आसार बनते रहे। चर्चा रही कि नरेन्द्र निर्दलीय लड़ सकते हैं। इस बीच टिकट कटने के विरोध में सवाईमाधोपुर में कई बाजार बंद रहे।